बेलगावी, आठ दिसंबर (भाषा) कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक केएन राजन्ना ने सोमवार को कहा कि अगर डीके शिवकुमार राज्य के मुख्यमंत्री बनते हैं, तो वह उनके नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे।
राजन्ना ने कहा कि सिद्धरमैया को गुप्त मतदान के जरिये कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता चुना गया था और जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देते, नेतृत्व का मुद्दा नहीं उठ सकता। उन्होंने कहा कि नेतृत्व परिवर्तन की सूरत में दलित समुदाय से आने वाले गृह मंत्री जी परमेश्वर को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जाना चाहिए।
बेलगावी में संवाददाताओं से मुखातिब राजन्ना ने एक सवाल के जवाब में कहा, “अगर डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री बनते हैं, तो मैं उनके मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं रहूंगा।”
नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस विधायक ने कहा कि विधायकों ने गुप्त मतदान के जरिये विधायक दल के नेता को पांच साल के लिए चुना था।
उन्होंने कहा, “अगर वह (सिद्धरमैया) कांग्रेस विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा दे देते हैं, तो नये व्यक्ति के चयन का सवाल उठेगा। तब तक ऐसी कोई बात नहीं है।”
राजन्ना को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का करीबी माना जाता है।
कर्नाटक में 20 नवंबर को कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद मुख्यमंत्री पद पर बदलाव की अटकलों के बीच सत्तारूढ़ दल में सत्ता संघर्ष तेज हो गया है।
हालांकि, पार्टी आलाकमान के निर्देश पर सिद्धरमैया और शिवकुमार हाल ही में नाश्ते के लिए एक-दूसरे के आवास पर मिले, जिसे दोनों के बीच नेतृत्व को लेकर जारी खींचतान को खत्म किए जाने और यह दिखाए जाने के प्रयास के रूप में देखा गया था कि सिद्धरमैया फिलहाल मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे, खास तौर पर आठ दिसंबर से शुरू होने वाले बेलगावी विधानमंडल सत्र से पहले।
राजन्ना ने कहा कि 2013 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता में आई, तब परमेश्वर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और वह आठ साल तक इस पद पर रहे।
उन्होंने कहा, “मैं एक दलित मुख्यमंत्री की अटकलों को हवा नहीं देना चाहता, लेकिन उनकी (परमेश्वर की) क्षमता और योग्यता के आधार पर उन्हें यह पद (मुख्यमंत्री पद) मिलना ही चाहिए।”
कांग्रेस के भीतर ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सिद्धरमैया गुट किसी भी बदलाव की स्थिति में परमेश्वर या अपने खेमे के अन्य वरिष्ठ नेताओं को मुख्यमंत्री पद के लिए प्राथमिकता देगा।
राजन्ना ने कहा कि उन्हें मंत्रिमंडल से बेवजह हटा दिया गया। उन्होंने कोई विवरण दिए बिना कहा, “मुझे इससे बहुत दुख हुआ।”
राजन्ना ने कांग्रेस छोड़ने की अटकलों के बीच स्पष्ट किया, “मैं पिछले पचास वर्षों से कांग्रेस का अभिन्न हिस्सा रहा हूं। मुझे किसी की सलाह की कोई जरूरत नहीं है।”
कर्नाटक के सहकारिता मंत्री रहे राजन्ना को कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर इस साल की शुरुआत में मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। उनकी कुछ टिप्पणियों, खास तौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों के सिलसिले में दिए गए बयानों को उनकी बर्खास्तगी का कारण माना गया था।
भाषा पारुल दिलीप
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