आईआईटी खड़गपुर ने खाद्य पैकेजिंग के लिए खीरे के छिलकों से सेल्युलोज नैनो क्रिस्टल विकसित किया

आईआईटी खड़गपुर ने खाद्य पैकेजिंग के लिए खीरे के छिलकों से सेल्युलोज नैनो क्रिस्टल विकसित किया

आईआईटी खड़गपुर ने खाद्य पैकेजिंग के लिए खीरे के छिलकों से सेल्युलोज नैनो क्रिस्टल विकसित किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:22 pm IST
Published Date: November 18, 2020 10:00 am IST

कोलकाता, 18 नवंबर (भाषा) खड़गपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने खीरे के छिलकों से सेल्युलोज नैनो क्रिस्टल विकसित किये हैं जिनसे भविष्य में पर्यावरण हितैषी खाद्य पैकेजिंग सामग्री बनाने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

वैसे तो एकल उपयोग वाले प्लास्टिक से पर्यावरण के प्रति जागरूक ज्यादातर उपभोक्ता परहेज कर रहे हैं लेकिन इस तरह के पॉलीमर अब भी खाद्य पैकेजिंग सामग्री के तौर पर इस्तेमाल में हैं।

आईआईटी खड़गपुर ने एक बयान में कहा कि प्रोफेसर जयिता मित्रा और शोधकर्ता एन साईं प्रसन्ना द्वारा खीरे के छिलके से विकसित की गयी सेल्युलोज नैनो सामग्री ने खाद्य पैकेजिंग सामग्री के पर्यावरण अनुकूल विकल्प ढूढने की इस चुनौती का समाधान कर दिया है।

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आईआईटी खड़गपुर के कृषि एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ मित्रा ने कहा , ‘‘ खीरे के छिलके या पूरे खीरे के प्रसंस्करण के बाद अविशष्ट अपशिष्ट के तौर पर 12 फीसद अपशिष्ट निकलता है। हमने इस प्रसंस्कृत सामग्री से सेल्युलोज अवशेष का इस्तेमाल किया है ।’’

उन्होंने अपनी खोज के बारे में बताया, ‘‘ हमारा अध्ययन बताता है कि खीरे से बनाये गये सेल्युलोज नैनो क्रिस्टल में बदलाव संबंधी विशेषताएं होती हैं। इससे बेहतर जैव अपक्षरण और जैव अनुकूलन बातें सामने आयीं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ ये नैनो सेल्युलोज सामग्री अपनी अनोखी विशेषताओं की वजह से मजबूत, नवीकरणीय और आर्थिक सामग्री के रूप में उभरी है। ’’

मित्रा ने कहा कि सालों से खाद्य पैकेजिंग में पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक का बढ़ता योग पर्यावरण प्रदूषण का स्रोत बन गया है।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि खीरे के छिलके में अन्य छिलकों की तुलना में अधिक सेल्युलोज ( 18.22 फीसदी) है और यही गुण इसे अधिक व्यावहारिक बनाता है।

भाषा

राजकुमार पवनेश

पवनेश


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