कल्पना कीजिए कि आईएस द्वारा बनाया गया विस्फोटक फट गया होता,कितनी जिंदगियां छिन गई होतीं: अदालत

कल्पना कीजिए कि आईएस द्वारा बनाया गया विस्फोटक फट गया होता,कितनी जिंदगियां छिन गई होतीं: अदालत

कल्पना कीजिए कि आईएस द्वारा बनाया गया विस्फोटक फट गया होता,कितनी जिंदगियां छिन गई होतीं: अदालत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:41 pm IST
Published Date: March 24, 2022 7:18 pm IST

नयी दिल्ली,24मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के एक आतंकवादी को देश में आंतकी कृत्यों को अंजाम देने की आपराधिक साजिश रचने के जुर्म में दी गयी दस वर्ष की कैद को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवायी के दौरान कहा कि कल्पना कीजिए कि अगर विस्फोटक फट गया होता तो कितनी जिंदगियां छिन गयी होतीं।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि दोषी मोहम्मद नफीस खान के खिलाफ आरोप गंभीर हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘आपका ये मामला नहीं है कि आप मजे के लिए विस्फोटक संयंत्र (आईईडी) बना रहे थे। आपने माना था कि आप भारत में आंतक फैलाने के लिए विस्फोटक संयंत्र बना रहे थे। जरा कल्पना कीजिए कि अगर उन आईईडी में विस्फोट हो जाता तो क्या हुआ होता। कितनी जिंदगियां छिन गई होतीं। आपके खिलाफ ये गंभीर आरोप है। आप बालिग हैं और अपनी हरकतों के लिए जिम्मेदार हैं।’’

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गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने 16 अक्टूबर 2020 को आतंकी संगठन आईएसआईएस के 13 सदस्यों को अलग-अलग सजाएं दीं। ये सभी भारत में अपना आधार बनाने एवं आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए सोशल मीडिया के जरिए मुस्लिम युवाओं की भर्ती करने की आपराधिक साजिश रचने के दोषी पाए गए।

उच्च न्यायालय नफीस को निचली अदालत द्वारा दी गई 10 साल की जेल की सजा और उस पर लगाए गए 1.03 लाख रुपये के जुर्माने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवायी कर रहा था।

अदालत द्वारा राहत नहीं दिए जाने का रुख अपनाने पर नफीस के वकीलों प्रशांत प्रकाश और कौसर खान ने कहा कि वे अपने अनुरोध को सीमित करते हुए दोषी की सजा को कम करने की अपील करते हैं।

इस पर अदालत ने सजा में सुनायी गई जुर्माने की रकम को घटा कर आधा कर दिया।

अभियोजन ने जुर्माने की रकम को घटाए जाने का विरोध किया जिस पर पीठ ने कहा कि कोई अप्रिय घटना हो पाती,इससे पहले की जांच एजेंसियों ने उसे पकड़ लिया था,इसलिए किसी को वास्तव में कोई नुकसान नहीं हो पाया,इसलिए जुर्माना घटाया जा सकता है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ 2016-2017 में आरोप पत्र दाखिल किया था।

भाषा

शोभना अनूप

अनूप


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