नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) संसद का एक दिसंबर से शुरू हुआ शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा की उत्पादकता क्रमश: 111 और 121 प्रतिशत दर्ज की गई।
लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने से पहले अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि इस सत्र में 15 बैठकें हुईं जो 92 घंटे 25 मिनट तक चलीं।
सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू सदन में उपस्थित थे।
अठारहवीं लोकसभा के छठे सत्र में कुल 10 सरकारी विधेयक पेश किए गए और सदन ने आठ सरकारी विधेयकों को मंजूरी दी। इनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेने के लिए लाया गया ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ शामिल है जिसे लेकर विपक्ष ने भारी विरोध दर्ज कराया।
सदन ने ‘भारत के रुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’, ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ और वर्ष 2025-26 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच और संबंधित विनियोग (संख्याक 4) विधेयक, 2025 को भी पारित किया।
देश में अप्रचलित एवं पुराने हो चुके 71 कानूनों को निरस्त और संशोधित करने के प्रस्ताव वाले ‘निरसन और संशोधन विधेयक, 2025’ को भी निम्न सदन की स्वीकृति प्राप्त हुई।
इनके अतिरिक्त लोकसभा ने ‘मणिपुर माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ और पान मसाला पर उपकर लगाने के प्रावधान वाले ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ को भी ध्वनिमत से पारित कर दिया।
लोकसभा ने विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने के उद्देश्य से लाए गए ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025’ को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने को मंजूरी दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक, 2025 पेश किया और इसे विचार-विमर्श के लिए विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा।
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने और चुनाव सुधारों के मुद्दे पर भी सदन में चर्चा हुई।
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् पर चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण से हुई और यह 11 घंटे 32 मिनट चली। इस चर्चा में 65 सदस्यों ने भाग लिया।
इससे पहले विपक्ष ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विषय पर संसद में चर्चा कराने की मांग की थी और शीतकालीन सत्र के शुरुआती दो दिन सदन की कार्यवाही इस मुद्दे पर विपक्ष के प्रदर्शन के कारण बाधित भी रही।
अंतत: चुनाव सुधारों के मुद्दे पर चर्चा की सहमति बनी और सदन में साामन्य कामकाज शुरू हुआ। यह चर्चा 13 घंटे चली और 63 सदस्यों ने इसमें भाग लिया।
लोकसभा अध्यक्ष ने एक वक्तव्य में कहा कि इस सत्र में शून्यकाल में लोक महत्व के 408 मुद्दे उठाए गए, वहीं नियम 377 के तहत 372 मुद्दे लिए गए।
सत्र के दौरान 300 तारांकित प्रश्न लिए गए और 72 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। पूरे सत्र में कुल 3449 अतारांकित प्रश्न लिए गए।
उधर राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने से पहले सभापति सी. पी. राधाकृष्णन ने जी राम जी विधेयक के पारित होने के दौरान विपक्षी सदस्यों के आचरण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि “व्यवधान संसद सदस्यों की गरिमा के अनुरूप नहीं” है। साथ ही सभापति ने उनसे आत्ममंथन करने तथा भविष्य में ऐसे आचरण से बचने का आग्रह किया।
सभापति ने कहा कि उच्च सदन का 269वां सत्र “अत्यंत उत्पादक” रहा और लगभग 92 घंटे की बैठकों के साथ 121 प्रतिशत उत्पादकता दर्ज की गई।
राधाकृष्णन ने कहा कि यह शीतकालीन सत्र उनके पदभार ग्रहण करने के बाद उनके द्वारा सदन की अध्यक्षता करने का पहला अवसर था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सदन के नेता जे. पी. नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद दिया।
राधाकृष्णन ने कहा कि सत्र के दौरान शून्यकाल के विषयों में काफी वृद्धि दर्ज की गई और इसके तहत प्रतिदिन औसतन 84 से अधिक नोटिस मिले जो पिछले दो सत्रों की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन उठाए गए मामलों की औसत संख्या 15 से अधिक रही, जो लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
चर्चा और बहस की गुणवत्ता को रेखांकित करते हुए सभापति ने बताया कि राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना की 150वीं वर्षगांठ पर सदन में दो दिवसीय विशेष चर्चा हुई, जिसमें 82 सदस्यों ने भाग लिया। चुनाव सुधारों पर तीन दिवसीय चर्चा में 57 सदस्यों ने अपनी बात रखी।
उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान राज्यसभा ने आठ विधेयक पारित किए या लौटाए और जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 पर एक वैधानिक प्रस्ताव को 212 सदस्यों की भागीदारी के साथ अपनाया गया।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा गैर सरकारी कामकाज के तहत 59 निजी विधेयक प्रस्तुत किए गए। सभापति ने इसे “संसदीय लोकतंत्र की जीवंतता” बताया।
सभापति ने सत्र के दौरान 58 तारांकित प्रश्नों, शून्यकाल के 208 ब्यौरों और 87 विशेष उल्लेखों का भी जिक्र किया तथा नियम 267 के दायरे को स्पष्ट करते हुए एक विस्तृत आदेश जारी किए जाने की जानकारी दी।
भाषा अविनाश माधव
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