चीन, पाक से नौसैनिक खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत को सक्रिय रहना चाहिए: संसदीय समिति

चीन, पाक से नौसैनिक खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत को सक्रिय रहना चाहिए: संसदीय समिति

चीन, पाक से नौसैनिक खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत को सक्रिय रहना चाहिए: संसदीय समिति
Modified Date: August 11, 2025 / 10:26 pm IST
Published Date: August 11, 2025 10:26 pm IST

नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) विदेश मामलों की संसदीय समिति ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में ‘‘चीन की बढ़ती उपस्थिति और उसके बढ़ते प्रभाव’’ पर चिंता जताते हुए सोमवार को कहा कि यह घटनाक्रम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापक रणनीतिक हितों के लिए जोखिम पैदा करता है।

समिति ने सोमवार को संसद में पेश ‘‘भारत की हिंद महासागर रणनीति का मूल्यांकन’’ विषयक अपनी रिपोर्ट में कहा कि ‘‘चीन-पाकिस्तान नौसैनिक गठजोड़ का मजबूत होना भी समान रूप से चिंता का विषय है।

कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति का मानना है कि इन घटनाक्रमों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इनमें क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बदलने, भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को चुनौती देने और प्रमुख समुद्री अवरोध बिंदुओं पर उसके प्रभाव को कम करने की क्षमता है।

 ⁠

हिंद महासागर में दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी रहती है, जो लगभग 35 तटीय राज्यों में फैली हुई है। समिति ने इस क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा है और 1,300 से ज़्यादा द्वीप हैं।

यह रिपोर्ट 130 से ज़्यादा पृष्ठों में है जिसमें कहा गया है, ‘‘एक लिखित जवाब में, मंत्रालय ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियों में समुद्री यातायात, समुद्री डकैती, आतंकवाद, नौवहन और हवाई उड़ानों की स्वतंत्रता से जुड़ी चिंताएं, और संप्रभुता व स्वतंत्रता की सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं शामिल हैं।’’

समिति ने कहा कि एक और चुनौती क्षेत्र ‘चीन का पैर जमाना’ भी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति और उसके बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति और उसके बढ़ते प्रभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापक रणनीतिक हितों के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है। समिति मानती है कि चीन की बढ़ी हुई नौसैनिक क्षमताएं, जिसका उदाहरण उसके बेड़े का बढ़ता आकार है, जिसमें सालाना 15 से ज्यादा इकाइयां शामिल हो रही हैं, अब अमेरिकी नौसेना से भी आगे निकल गई हैं, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन गयी है।’’

भाषा अविनाश प्रशांत

प्रशांत


लेखक के बारे में