भारत को जनसंख्या बढ़ाने की ज़रूरत..ऐसा नहीं किया तो बढ़ेगी मुसीबत, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने दिया ये तर्क…देखिए

भारत को जनसंख्या बढ़ाने की ज़रूरत..ऐसा नहीं किया तो बढ़ेगी मुसीबत, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने दिया ये तर्क...देखिए

भारत को जनसंख्या बढ़ाने की ज़रूरत..ऐसा नहीं किया तो बढ़ेगी मुसीबत, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने दिया ये तर्क…देखिए
Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 pm IST
Published Date: June 27, 2021 3:02 pm IST

नई दिल्ली। अर्थशास्त्री स्वामीनाथन एस अंकलेसरिया अय्यर ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि भारत को जनसंख्या बढ़ाने की जरूरत है। अगर ऐसा न किया गया तो देश की मुसीबत बढ़ सकती है। उन्होंने इन दावों के साथ आंकड़े भी दिए और दो बच्चों के प्रतिबंध लगाने के फैसले को गलत करार दिया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश के कई राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चर्चाएं तेज हैं।

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अंग्रेजी अखबार में शनिवार, 26 जून, 2021 को प्रकाशित अपने लेख में उन्होंने कहा, “लक्षद्वीप में भाजपाई प्रशासक ने उन प्रस्तावों से लोगों में उत्तेजना पैदा की, जिनमें दो बच्चों से ज्यादा वालों को पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी से बाहर किए जाने से जुड़ा मसौदा भी है। यह नासमझी है। भारत और दुनिया को ज्यादा नहीं बल्कि अपर्याप्त जन्मों का सामना करना पड़ता है।” उनके मुताबिक, चीन ने एक बच्चे की नीति लागू की, बाद में दो के लिए मंजूरी दी और अब वह तीन बच्चों के लिए बढ़ावा दे रहा है। चूंकि, उसकी कामकाजी उम्र की आबादी गिर रही है, इसलिए जीडीपी को बढ़ावा देने के लिए उसे और अधिक श्रमिकों की सख्त जरूरत है। स्थिर जनसंख्या के लिए कुल फर्टिलिटी रेट – हर महिला पर जन्मा बच्चा – 2.1 होना चाहिए। यह एकदम से जनसंख्या वृद्धि को नहीं रोकेगा। भविष्य में मां बनने वाली औरतें पैदा हो चुकी हैं, इसलिए आबादी दो दशक तक 2.1 पर पहुंचने तक बढ़ती रहेगी और फिर वृद्धि की रफ्तार कम हो जाएगी।

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उन्होंने कहा कि, “भारत की फर्टिलिटी गिर रही है। अधिक जनसंख्या के फर्जी डर को त्याग देना चाहिए और कम कामकाजी उम्र के लोगों (15 से 65 वर्ष) और वृद्ध आश्रितों के साथ भविष्य की तैयारी करनी चाहिए।” हालांकि, उन्होंने आगे कहा- बच्चे के अच्छे पालन-पोषण की लागत बढ़ गई है, इसलिए लोग दो बच्चों का भी खर्च नहीं उठा सकते। कई देश तो बच्चे की मुफ्त देखभाल, लंबी मैटर्निटी और पैटर्निटी लीव, मुफ्त चाइल्ड केयर हेल्थ और ऐसे ही मिलते जुलते लाभ और सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। फिर भी उनकी फर्टिलिटी गिर रही है।

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कुछ देशों का जिक्र करते हुए बताया कि, ताइवान में यह दर सबसे कम है। वहां यह आंकड़ा 1.07 है। दक्षिण कोरिया में 1.09, सिंगापुर में 1.15 है। यहां तक की अमीर देश में भी यह डेटा रीप्लेसमेंट लेवल से नीचे है। मसलन जापान में 1.38, जर्मनी में 1.48, यूएस में 1.84 और यूके में 1.86 है। अफ्रीकी देशों में यह दरें अभी भी तीन से नीचे है। पर मेक्सिको में फर्टिलिटी 2.14 से कम है।

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उन्होंने भारत के संबंध में बोलते हुए कहा कि – भारत का फर्टिलिटी रेट 1992 से 1993 में 3.4 बच्चों का था, जो कि आज 2.2 पर आ गया है। माना जा रहा है कि 2025 में यह गिरकर 1.93 हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि महात्वाकांक्षी मध्यम वर्गीय लोग कम बच्चे चाहते हैं। अत्यधिक आबादी से दूर भारत अपर्याप्त फर्टिलिटी रेट के वैश्विक जाल, कामकाजी उम्र के कम लोगों और बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोगों को महंगी चिकित्सा देखभाल की जरूरत वाले दौर की ओर बढ़ रहा है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com