भारत को देशहितों के खिलाफ काम करने वाली व्यवस्थाओं के प्रति सतर्क रहना चाहिए: श्रृंगला

भारत को देशहितों के खिलाफ काम करने वाली व्यवस्थाओं के प्रति सतर्क रहना चाहिए: श्रृंगला

भारत को देशहितों के खिलाफ काम करने वाली व्यवस्थाओं के प्रति सतर्क रहना चाहिए: श्रृंगला
Modified Date: September 12, 2025 / 09:49 am IST
Published Date: September 12, 2025 9:49 am IST

नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत, बांग्लादेश सहित अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उसे देश के मूल हितों के विरुद्ध काम करने वाली किसी भी व्यवस्था के प्रति सतर्क रहना होगा।

यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में बृहस्पतिवार को ‘‘क्या हम बांग्लादेश चुनावों के लिए तैयार हैं?’’ विषय पर आयोजित एक परिचर्चा में श्रृंगला ने बांग्लादेश में ‘जमात-ए-इस्लामी’ की भूमिका को लेकर आगाह किया और इस संगठन के बारे में कहा कि ‘‘तेंदुआ अपने धब्बे नहीं बदल सकता’’, यानी इसका स्वभाव नहीं बदलने वाला है।

बांग्लादेश में भारत के राजदूत रह चुके, भारत के पूर्व वरिष्ठ राजनयिक ने कहा, ‘‘यह कहना ठीक है कि जो भी सत्ता में आएगा, हम उसके साथ काम करेंगे। लेकिन अगर वह भारत के हितों के विरुद्ध काम कर रहा है, तो हमें इस बात का ध्यान रखना होगा।’’

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राज्यसभा सदस्य ने दोहराया कि भारत अपने पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में दखल न देने के सिद्धांत का सम्मान करता है लेकिन उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि ‘‘जिन देशों से हमारी सीमाएं जुड़ी हैं, उनके मामले विशुद्ध रूप से आंतरिक नहीं कहे जा सकते।’’

श्रृंगला ने जमात-ए-इस्लामी का उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी छात्र इकाई ने हाल में ढाका विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों में जीत हासिल की है। उन्होंने बताया कि यह 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के बाद पहली बार है जब किसी इस्लामी संगठन ने ऐसा चुनाव जीता है।

उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के ‘‘सहायक बल’’ के रूप में काम किया था, और उस समय इस पर हिंदुओं के खिलाफ नरसंहार जैसे अत्याचारों के आरोप लगे थे।

श्रृंगला ने कहा, ‘‘इनके हाथ खून से सने हैं और वे ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ का भी हिस्सा हैं। वही मुस्लिम ब्रदरहुड जो बांग्लादेश, मिस्र, पाकिस्तान और दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद है। और यह तेंदुआ अपने धब्बों को नहीं बदलने वाला।’’

भाषा खारी वैभव

वैभव


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