भारत 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों का निर्माण करेगा : राजनाथ |

भारत 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों का निर्माण करेगा : राजनाथ

भारत 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों का निर्माण करेगा : राजनाथ

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Modified Date: April 17, 2025 / 05:19 PM IST
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Published Date: April 17, 2025 5:19 pm IST

नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस साल भारत का रक्षा उत्पादन 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है और 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य के सैन्य उपकरणों के निर्माण का लक्ष्य है।

राजनाथ ने कहा कि भारत रक्षा उपकरणों के आयात पर अपनी निर्भरता कम करेगा और एक रक्षा औद्योगिक परिवेशी तंत्र बनाएगा, जो न केवल देश की जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि रक्षा निर्यात की क्षमता को भी मजबूत करेगा।

रक्षा मंत्री ने ‘द वीक’ पत्रिका द्वारा आयोजित ‘डिफेंस कॉन्क्लेव 2025 – फोर्स ऑफ द फ्यूचर’ में अपने संबोधन में यह बात कही।

उन्होंने कहा, ‘‘वह दिन दूर नहीं जब भारत न केवल विकसित देश के रूप में उभरेगा, बल्कि हमारी सैन्य शक्ति भी विश्व में शीर्ष पर होगी। इस वर्ष रक्षा उत्पादन 1.60 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाना चाहिए, जबकि हमारा लक्ष्य वर्ष 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उपकरण तैयार करना है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताएं राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता पर केंद्रित हैं, वहीं वे विनिर्माण को वैश्विक ‘आपूर्ति बाधाओं’ से भी बचा रही हैं।

उन्होंने घोषणा की, ‘‘ हमारा रक्षा निर्यात इस वर्ष 30,000 करोड़ रुपये और वर्ष 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाना चाहिए।’’

सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता का उद्देश्य विवादों और संघर्षों को भड़काना नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा क्षमताएं क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए एक विश्वसनीय प्रतिरोधक शक्ति की तरह हैं और शांति तभी संभव है जब भारत मजबूत बना रहे।

सिंह ने अपने संबोधन में स्वदेशीकरण, नवाचार और वैश्विक नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर तथा भविष्य के लिए तैयार’ भारत के लक्ष्य हेतु एक आकर्षक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत न केवल अपनी सीमाओं को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रक्षा परिवेशी तंत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी अपनी स्थिति बना रहा है।

सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र का पुनरुद्धार और सुदृढ़ीकरण सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है।

उन्होंने कहा कि सरकार की पहली और सबसे बड़ी चुनौती इस मानसिकता को बदलना है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए केवल आयात करेगा।

सिंह ने कहा, ‘‘आज, जहां भारत का रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रहा है, वहीं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को लचीला बनाने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।’’

उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम न केवल देश के रक्षा उत्पादन को मजबूत कर रहा है, बल्कि इसमें वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला को लचीला और सुदृढ़ बनाने की क्षमता भी है।

सिंह ने युद्ध की बदलती हुई प्रकृति पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में संघर्ष और युद्ध अधिक हिंसक और अप्रत्याशित होंगे तथा साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से नए युद्धक्षेत्र के रूप में उभर रहे हैं और इसके साथ ही, पूरी दुनिया में कथानक और धारणा का युद्ध भी लड़ा जा रहा है।

सिंह ने रक्षा क्षेत्र में सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा कि 200 वर्ष से अधिक पुराने आयुध कारखानों का निगमीकरण एक साहसिक लेकिन आवश्यक कदम था।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ आज आयुध कारखाने अपने नए स्वरूप में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और लाभ कमाने वाली इकाइयां बन गए हैं। मेरा मानना ​​है कि 200 वर्ष से भी अधिक पुराने ढांचे को बदलना इस सदी का बहुत बड़ा सुधार है।’’

रक्षा मंत्री ने सरकार के स्वदेशीकरण अभियान को रेखांकित किया तथा सशस्त्र बलों द्वारा पांच तथा रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) द्वारा पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी किए जाने का उल्लेख किया।

उन्होंने रक्षा बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा घरेलू कम्पनियों से खरीद के लिए आरक्षित करने के सरकार के निर्णय का भी जिक्र किया।

भाषा रवि कांत मनीषा

मनीषा

 

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