संस्थानों को लोकतंत्र में अपनी सीमाओं को जानना और उनका सम्मान करना चाहिए : केरल के राज्यपाल
संस्थानों को लोकतंत्र में अपनी सीमाओं को जानना और उनका सम्मान करना चाहिए : केरल के राज्यपाल
तिरुवनंतपुरम, 14 दिसंबर (भाषा) केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने रविवार को कहा कि लोकतंत्र में हर संस्था की अपनी सीमाएं होती हैं और सुचारु लोकतांत्रिक कामकाज उन सीमाओं को जानने और उनका सम्मान करने पर निर्भर करता है।
राज्यपाल ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश और केरल के पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) पी. सदाशिवम को न्यायमूर्ति वी. आर. कृष्ण अय्यर पुरस्कार प्रदान करने के बाद मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। यह पुरस्कार लॉ ट्रस्ट (कानूनी सहायता और कल्याण ट्रस्ट) द्वारा स्थापित किया गया है।
अर्लेकर का बयान हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए उस निर्देश के संदर्भ में आया है, जिसमें केरल के दो तकनीकी विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए एक-एक नाम की सिफारिश करने के वास्ते न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया है। यह निर्देश राज्यपाल और केरल के मुख्यमंत्री के बीच इस मुद्दे पर जारी गतिरोध को सुलझाने के प्रयास में दिया गया है।
केरल लोक भवन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने लोकतंत्र में एक संस्था द्वारा दूसरी संस्था की भूमिका हथियाने की प्रवृत्ति की निंदा की है।
बयान के मुताबिक, ‘‘उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन करने की शक्ति संसद और निर्वाचित विधायिका के पास है, और अदालतें ‘संविधान की व्याख्या करने के लिए हैं, न कि संविधान में संशोधन करने के लिए’।’’
राज्यपाल ने कहा कि एक ही मामले/मुद्दे पर विरोधाभासी व्याख्याएं/निर्णय संविधान की सच्ची भावना के अनुरूप नहीं हैं।
बयान में कहा गया, ‘‘वह कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति पर उच्चतम न्यायालय के तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दिये गए के फैसले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें नियुक्ति प्रक्रिया में कुलाधिपति की सर्वोच्चता को बरकरार रखा गया था।’’
केरल में अधिकांश राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल ही होते हैं।
न्यायमूर्ति सदाशिवम ने पुरस्कार स्वीकार करने के बाद कहा कि अदालतों को न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर के मानवतावादी आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध रहना होगा, भले ही समाज तेजी से ‘डिजिटल’ होता जा रहा हो।
इस कार्यक्रम में केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच नागरेश, न्यायमूर्ति के बाबू और न्यायमूर्ति ए बदरुद्दीन मौजूद थे।
भाषा धीरज संतोष
संतोष

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