समृद्ध भारत के निर्माण के लिए सत्य और अहिंसा के मंत्र का अनुसरण जरूरी :राष्ट्रपति कोविंद

समृद्ध भारत के निर्माण के लिए सत्य और अहिंसा के मंत्र का अनुसरण जरूरी :राष्ट्रपति कोविंद

समृद्ध भारत के निर्माण के लिए सत्य और अहिंसा के मंत्र का अनुसरण जरूरी :राष्ट्रपति कोविंद
Modified Date: November 29, 2022 / 08:09 pm IST
Published Date: October 1, 2020 1:48 pm IST

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को देशवासियों से सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने और स्वच्छ तथा समृद्ध भारत के निर्माण का आह्वान किया। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी।

गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि गांधीजी का बताया सत्य, अहिंसा और प्रेम का मार्ग समाज में सौहार्द और समानता लाते हुए विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी के मूल्य जितने प्रासंगिक कल थे, उतने ही आज हैं और उतने ही भविष्य में भी रहेंगे।

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कोविंद ने कहा, ‘‘गांधी जयंती के शुभ अवसर पर हम स्वयं को देश के कल्याण और समृद्धि के लिए, सत्य और अहिंसा के मंत्र का अनुसरण करने के लिए तथा एक स्वच्छ, समर्थ, मजबूत एवं समृद्ध भारत के निर्माण के साथ ही गांधीजी के सपनों को साकार करने के लिए पुन: समर्पित करने का संकल्प लें।’’

उन्होंने कहा कि लोग अब मानते हैं कि सबसे बड़ी समस्याओं का समाधान सद्भाव और सहिष्णुता के मार्ग से हो सकता है, जैसा कि महात्मा गांधी ने सुझाया था।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘गांधीजी का स्वयं का जीवन इसी रास्ते पर चलने का उज्ज्वल उदाहरण है। उन्होंने हमें सिखाया कि हमें उनके साथ भी अच्छा व्यवहार करना चाहिए, जो हमारे शुभचिंतक नहीं हैं और हमें सभी के प्रति प्रेम, करुणा और क्षमा की भावना रखनी चाहिए। हमारे विचारों, कथनों और कर्मों में एकरूपता होनी चाहिए।’’

कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी ने अपने प्रयासों में लक्ष्यों और साधनों के आचरण और शुद्धता को भी बहुत महत्व दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे प्रसन्नता है कि स्वच्छ भारत मिशन, महिला सशक्तीकरण, गरीबों और वंचितों के सशक्तीकरण, किसानों की सहायता और गांवों में मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के माध्यम से देश के विकास के लिए किये जा रहे हमारी सरकार के प्रयासों के केंद्र में गांधीजी के विचार और शिक्षाएं हैं।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि हर साल दो अक्टूबर को महात्मा गांधी को न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में याद किया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘वह पूरी मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनकी जीवनगाथा समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त और मजबूत बनाती है। उनका सत्य, अहिंसा और प्रेम का संदेश समाज में सौहार्द और समानता लाकर दुनिया के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। उनके मूल्य कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और भविष्य में भी इतने ही प्रासंगिक रहेंगे।’’

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी वक्तव्य के अनुसार राष्ट्रपति ने पूरे राष्ट्र की ओर से राष्ट्रपिता की 151वीं जयंती की पूर्वसंध्या पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

भाषा वैभव दिलीप नरेश

नरेश


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