जम्मू, 25 दिसंबर (भाषा) जम्मू में बृहस्पतिवार शाम को कई दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने ‘श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस’ से मुस्लिम विद्यार्थियों को स्थानांतरित करने और हिंदू विद्यार्थियों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे आंदोलन का दायरा बढ़ाएंगे।
यह विवाद पिछले महीने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) मेरिट सूची के माध्यम से एमबीबीएस के पहले बैच के 50 विद्यार्थियों के प्रवेश के बाद शुरू हुआ।
इस बैच में 42 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश कश्मीर से हैं जबकि जम्मू के सात हिंदू छात्र और एक सिख उम्मीदवार हैं।
व्यापार संघों, बार एसोसिएशन, सामाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थाओं के सदस्यों सहित प्रदर्शनकारी हाल में गठित संगठनों के समूह श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति के बैनर तले एकत्रित हुए।
उन्होंने श्राइन बोर्ड और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया।
समिति के संयोजक कर्नल सुखवीर सिंह मनकोटिया के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, श्राइन बोर्ड के सदस्यों और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ नारे लगाए तथा उपराज्यपाल का पुतला जलाकर हिंदू समुदाय की मांगों को पूरा करने की मांग की।
कर्नल मनकोटिया ने पत्रकारों से कहा, “अगर इस फैसले को तुरंत नहीं बदला गया, तो आंदोलन और तेज हो जाएगा। हम छोटे-छोटे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं तो जम्मू में पूर्ण बंद की ओर बढ़ेंगे। सरकार हमें 2008 के भूमि विवाद जैसे बड़े आंदोलन की ओर धकेल रही है।”
उन्होंने कहा कि श्रद्धालु श्रद्धा और भक्ति भाव से माता वैष्णो देवी मंदिर में चढ़ावा चढ़ाते हैं।
कर्नल ने कहा, “इन चढ़ावों के उचित प्रबंधन और तीर्थयात्रा को सुगम बनाने के लिए 1988 में श्राइन बोर्ड का गठन किया गया था। इसकी प्राथमिक जिम्मेदारी हर साल लाखों तीर्थयात्रियों की सुरक्षा, आवास और सुगम दर्शन सुनिश्चित करना है।”
उन्होंने कहा कि बोर्ड की प्राथमिकताओं में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार, गुरुकुलों का संचालन, गौशालाओं की स्थापना और प्राचीन मंदिरों का संरक्षण भी शामिल होना चाहिए।
समिति के नेताओं ने आरोप लगाया कि लगभग दो दशकों से भक्तों द्वारा दिए गए दान का उपयोग उन कार्यों के लिए किया जा रहा है, जो सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, जिनमें अस्पताल, विश्वविद्यालय, मेडिकल एवं नर्सिंग कॉलेज और सड़कों का निर्माण शामिल है।
उन्होंने कहा कि मंदिर में चढ़ाए गए दान का उपयोग ‘केवल धार्मिक और सनातन धर्म से संबंधित गतिविधियों’ के लिए ही किया जाना चाहिए। समिति ने विरोध प्रदर्शन के दौरान मंदिर बोर्ड प्रशासन को प्रवेश संबंधी समस्या का तुरंत समाधान करने और कुछ बोर्ड सदस्यों के कामकाज में बदलाव करने की चेतावनी दी।
भाषा जितेंद्र आशीष
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