जद(एस) ने कर्नाटक के राज्यपाल से घृणास्पद भाषण विधेयक को मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया
जद(एस) ने कर्नाटक के राज्यपाल से घृणास्पद भाषण विधेयक को मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया
बेंगलुरु, 31 दिसंबर (भाषा) जनता दल (सेक्युलर) के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत से घृणास्पद भाषण पर रोक संबंधी विधेयक को मंजूरी न देने का अनुरोध किया और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अनुचित प्रतिबंध बताया।
जद(एस) विधायकों और नेताओं के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पार्टी विधानमंडल दल के नेता सुरेश बाबू ने किया।
कर्नाटक राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों ने भाजपा और जद(एस) के कड़े विरोध के बावजूद, बेलगावी में शीतकालीन सत्र के दौरान घृणास्पद भाषण और घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक पारित कर दिया। अब इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, ताकि यह विधेयक कानून बन सके। सत्र का 19 दिसंबर को समापन हुआ था।
पार्टी ने राज्यपाल को दिए ज्ञापन में कहा, ‘‘जद (एस) विधानमंडल पार्टी के सदस्य और पदाधिकारी, आपसे विनम्रतापूर्वक यह अनुरोध करते हैं कि आप कर्नाटक घृणास्पद भाषण और घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक, 2025 को मंजूरी न दें। यह अनुरोध भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत आपको प्रदत्त संवैधानिक विवेकाधिकार के तहत किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा कि विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा गारंटी प्रदत्त वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है।
जद(एस) नेताओं ने ज्ञापन में कहा, ‘हम आपसे अनुरोध करते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अनुचित प्रतिबंध, असहमति की आवाजों को दबाने के लिए प्रावधानों का संभावित दुरुपयोग और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन जैसी चिंताओं के कारण विधेयक को मंजूरी न दें।’
पार्टी ने कर्नाटक विधानमंडल में विधेयक पारित किए जाने में हुई प्रक्रियात्मक अनियमितताओं को भी उजागर किया।
जद(एस) नेताओं ने कहा, ‘‘लगातार विरोध प्रदर्शन और हंगामे के बीच, सीमित चर्चा और स्पष्ट मतदान प्रक्रिया के बिना विधेयक को पारित घोषित कर दिया गया। ऐसी प्रक्रियाएं विधायी मानदंडों और लोकतांत्रिक विचार-विमर्श के सिद्धांतों को कमजोर करती हैं।’’
भाषा आशीष नरेश
नरेश

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