करीब एक हफ्ते से श्रीनगर में फंसे जेयू छात्र को एलओसी के नजदीक अपने घर जाने की उम्मीद जगी

करीब एक हफ्ते से श्रीनगर में फंसे जेयू छात्र को एलओसी के नजदीक अपने घर जाने की उम्मीद जगी

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  • Publish Date - May 13, 2025 / 06:51 PM IST,
    Updated On - May 13, 2025 / 06:51 PM IST

कोलकाता, 13 मई (भाषा) कोलकाता से 2,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने के बावजूद यादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के छात्र जाहिद खान श्रीनगर से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के नजदीक स्थित अपने गांव तंगधार की 200 किलोमीटर की दूरी गत करीब एक सप्ताह में भी तय नहीं कर पाए।

जाहिद कोलकाता से जब घर जा रहे थे तभी भारत-पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष की वजह से श्रीनगर में फंस गए, लेकिन सीमा पर शांति लौटने के साथ ही उनके अपने गांव जाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

जाहिद जेयू से राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं। वह ड्रोन हमलों और तोपखाने की गोलाबारी बंद होने के बाद अब अपने बुजुर्ग माता-पिता और भाई-बहनों से मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। वह करीब एक हफ्ते से श्रीनगर में एक दोस्त के घर रह रहे हैं।

उन्होंने मंगलवार को श्रीनगर से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बात की। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बुजुर्ग माता-पिता, छोटी बहन और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ-साथ कुछ पड़ोसियों ने सात मई से 11 मई तक तंगधार में एक बंकर में शरण ली।’’

जाहिद ने बताया कि भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मद्देनजर पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमलों और तोपखाने की गोलाबारी के कारण लोगों को नियंत्रण रेखा के पास स्थित उनके घरों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था।

वह छह मई को श्रीनगर पहुंचे थे लेकिन उस समय पैदा हुई स्थिति की वजह से कुपवाड़ा नहीं जा सके।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन्हें हर घंटे फोन करता रहा, कभी-कभी तो यह बहुत निराशाजनक होता था क्योंकि मैं उनसे संपर्क नहीं कर पाता था। लेकिन जब भी मैं उनसे बात करने में कामयाब होता था, तो मुझे आवाजें सुनाई देती थीं – जो या तो गोलाबारी की होती थीं या हमारी सेना द्वारा ड्रोन को रोके जाने की।’’

जाहिद ने कहा, ‘‘लेकिन वे डरे नहीं और उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया कि यह समय बीत जाएगा तथा स्थिति सामान्य हो जाएगी। दुबई में रहने वाला मेरा भाई भी मुझे और हमारे परिवार को फोन करता रहा और हम एक-दूसरे को सांत्वना देते रहे।’’

उन्होंने कहा कि शुक्रवार की रात सबसे भयावह थी, बीच-बीच में गोलाबारी और ड्रोन की आवाजें आ रही थीं।

जाहिद ने कहा, ‘‘हमारे गांव में कुछ घर क्षतिग्रस्त हुए हैं लेकिन शुक्र है कि इलाके में कोई हताहत नहीं हुआ।’’

तनाव कम होने के बाद जाहिद अब यथाशीघ्र तंगधार जाने की योजना बना रहे हैं, जो श्रीनगर से सड़क मार्ग से 200 किलोमीटर दूर है, ताकि वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकें।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सुरक्षा के मद्देनजर माता-पिता नहीं चाहते कि मैं उनसे मिलने जाऊं। वे पिछले छह दिन से व्हाट्सऐप पर अपने वीडियो और तस्वीरें भेज रहे हैं। लेकिन मुझे वहां जाना ही होगा।’’

जाहिद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हवाई टिकटों की उपलब्धता और उनकी सामर्थ्य के आधार पर वह एक महीने में कोलकाता लौट आएंगे।

उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में अधिकतर लोग गरीब हैं।

जेयू छात्र ने कहा, ‘‘हम आतंकवाद का खात्मा चाहते हैं। हम बिना किसी गोलाबारी या ड्रोन हमले के शांति से रहना चाहते हैं।’’

भाषा धीरज नेत्रपाल

नेत्रपाल