नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक भूमि विवाद पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा कि न्याय कोई पूर्वाग्रह नहीं जानता और इसकी मदद से कमजोर भी ताकतवर पर हावी हो सकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमारे समाज की शक्ति संरचना ऐसी है कि जो लोग कमजोर हैं वे अकसर उन लोगों द्वारा खुद को शोषित और उत्पीड़ित पाते हैं जिनके पास अधिक शक्ति है।’’
न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा, ‘‘भूमि स्वामित्व एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम शक्ति प्रदर्शन की तलवारों को निरंतर धोखाधड़ी, छल और लालच के साथ तेज होते देखते हैं।’’
शीर्ष अदालत की ये टिप्पणियां महाराष्ट्र के ठाणे जिले में जमीन के एक टुकड़े से जुड़े मामले में आईं।
इसने कहा, ‘‘न्याय कोई पूर्वाग्रह नहीं जानता और इस प्रकार, इसकी सहायता से कमजोर भी मजबूत पर हावी हो सकता है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हालांकि हम वर्तमान मामले के तथ्यों पर बाद में विस्तार से विचार करेंगे, यह उन विक्रेताओं के गलत इरादों के कारण आम आदमी द्वारा झेली जा रही निरंतर पीड़ा का एक बड़ा उदाहरण है जो या तो दबाव बनाकर या कानूनी प्रक्रियाओं में हेरफेर के माध्यम से दोहरा लाभ प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।’’
इसने कहा कि कभी-कभी वादी का दुख तब और गहरा हो जाता है जब न्याय का ऐसा उपहास दशकों तक चलता है और ऐसे मामलों में कानून कमजोरों की सहायता के लिए आता है।
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नेत्रपाल माधव
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