साइकिल ठीक करने वाले कदीम मियां को नहीं भूले न्यायमूर्ति सत्यवीर सिंह

साइकिल ठीक करने वाले कदीम मियां को नहीं भूले न्यायमूर्ति सत्यवीर सिंह

साइकिल ठीक करने वाले कदीम मियां को नहीं भूले न्यायमूर्ति सत्यवीर सिंह
Modified Date: December 14, 2025 / 05:38 pm IST
Published Date: December 14, 2025 5:38 pm IST

अतरौली (उप्र), 14 दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्यवीर सिंह यहां अपने कॉलेज के दौरे पर आए तो कदीम मियां से मुलाकात करना नहीं भूले। ये वही कदीम मियां थे जिनसे न्यायमूर्ति सत्यवीर सिंह स्कूल के दिनों में अक्सर अपनी साइकिल की मरम्मत कराया करते थे।

उन्होंने इस अवसर पर कदीम मियां को मंच पर बुलाकर सम्मानित भी किया। कॉलेज के छात्रों और अध्यापकों के लिए यह काफी भावुक करने वाला क्षण था।

न्यायमूर्ति सिंह शनिवार को यहां स्थित एम वी इंटर कॉलेज पहुंचे थे जहां से उन्होंने बारहवीं की पढ़ाई की थी।

 ⁠

न्यायमूर्ति सिंह ने विद्यालय में अपने पढ़ाई के दिनों और शिक्षकों को याद करते हुए विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभव भी बांटे।

शहर के पास नहल गांव में जन्मे न्यायमूर्ति सिंह के अनेक सहपाठी भी इस अवसर पर उपस्थित थे जिन्होंने अपनी मित्रता के किस्से भावुकता के साथ साझा किए।

न्यायमूर्ति सिंह ने बताया कि एक समय था वह साइकिल से गांव से पढ़ने आते थे और इस दौरान उन्हें जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने किसी भी समस्या को कठिनाई नहीं समझा और न ही उसे अपने ऊपर हावी होने दिया।

उनके छात्र जीवन में उनकी साइकिल की मरम्मत करने वाले कदीम मियां को इस मौके पर उन्होंने सम्मानित किया।

यहां छात्रों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को सम्मान और न्याय दिलाए बिना पूरा नहीं हो सकता।

न्यायमूर्ति सिंह ने इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और पूर्व प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई के कुछ उद्गारों को उद्धृत करते हुए छात्रों से कहा कि ‘केवल अधिकारों का होना पर्याप्त नहीं है। अगर नागरिक उनके प्रति जागरूक नहीं है और वे समाज के अंतिम व्यक्ति के अधिकारों के प्रति नहीं सोचेंगे तो लक्ष्य को प्राप्त करने में देर लगेगी।’

उन्होंने संस्थान के प्राचार्य प्रमोद कुमार श्रोतिय और रसायन विज्ञान के व्याख्याता संदीप रुहेला का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें भी इन दोनों शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ था। न्यायमूर्ति सत्यवीर सिंह ने कहा कि इंसान कितने भी बड़े पद पर पहुंच जाए, वह छात्र ही रहता है क्योंकि वह जीवनभर कुछ न कुछ सीखता है।

इस अवसर पर विद्यालय के कुछ छात्रों ने न्यायमूर्ति सिंह से कमजोर वर्गों को न्याय मिलने में देरी से संबंधित प्रश्न खुलकर पूछे और उनकी इस यात्रा की चुनौतियों को भी समझा।

उन्होंने विद्यालय प्रबंधन से इच्छा जताई कि वह संस्थान और छात्रों के लिए भविष्य में अपना योगदान देते रहना चाहते हैं और आगे भी यहां आकर बच्चों से संवाद जारी रखना चाहते हैं।

भाषा वैभव

नरेश

नरेश


लेखक के बारे में