केरल : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का समय बढ़ाने पर चिकित्सकों का कड़ा विरोध

केरल : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का समय बढ़ाने पर चिकित्सकों का कड़ा विरोध

केरल : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का समय बढ़ाने पर चिकित्सकों का कड़ा विरोध
Modified Date: December 26, 2025 / 03:37 pm IST
Published Date: December 26, 2025 3:37 pm IST

तिरुवनंतपुरम, 26 दिसंबर (भाषा) केरल में सरकारी चिकित्सकों के एक संगठन ने शुक्रवार को राज्य सरकार के उस फैसले का कड़ा विरोध किया, जिसमें कर्मचारियों की संख्या बढ़ाए बिना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में उपचार का समय (ओपीडी) सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक करने का निर्णय लिया गया है।

केरल सरकारी चिकित्सा अधिकारी संघ (केजीएमओए) ने एक बयान में कहा कि यह कदम उन चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों पर अनुचित बोझ डालता है, जो पहले से ही काम के दबाव में हैं।

संगठन ने इस फैसले को जमीनी हकीकत पर विचार किए बिना लिया गया ‘अव्यावहारिक’ और ‘अन्यायपूर्ण’ फैसला करार दिया।

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संगठन ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, परिवार स्वास्थ्य केंद्रों की तुलना में बिल्कुल अलग स्थितियों में काम करते हैं और उनकी जिम्मेदारियां अधिक व्यापक हैं।

बयान में कहा गया है कि न्यूनतम कर्मचारियों की संख्या पर मौजूदा सरकारी मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है और हाल के वर्षों में इन केंद्रों में कोई नया पद सृजित नहीं किया गया है।

केजीएमओए ने बताया कि कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केवल तीन चिकित्सकों के भरोसे चल रहे हैं।

एसोसिएशन ने कहा कि ओपीडी का समय शाम तक बढ़ाने का अर्थ यह होगा कि प्रभारी अधिकारी के अलावा, केवल दो चिकित्सकों को ही शाम छह बजे तक ओपीडी संभालनी होगी। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जहां सुबह के व्यस्त समय के दौरान ओपीडी में केवल एक ही चिकित्सक उपलब्ध रहे।

बयान में कहा गया है, ‘जिन केंद्रों में पहले से ही मरीजों की भारी भीड़ रहती है, वहां ओपीडी में केवल एक चिकित्सक का होना असंतोष और विवाद का कारण बनेगा और इससे इलाज की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।’

एसोसिएशन ने मांग की कि सरकार संशोधित आदेश को तुरंत वापस ले और ऐसे फैसले लेने से पहले पर्याप्त मानव संसाधन सुनिश्चित करे।

केजीएमओए के अध्यक्ष डॉ सुनील पी के और महासचिव डॉ जोबिन जी जोसेफ द्वारा हस्ताक्षरित इस बयान में चेतावनी दी गई है कि वे चिकित्सकों पर दबाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेंगे, जो काम के भारी बोझ के कारण अपने नियत अवकाश लेने में भी असमर्थ हैं।

भाषा सुमित मनीषा

मनीषा


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