केरल : स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों से आगामी विधानसभा रोमांचक हुआ

केरल : स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों से आगामी विधानसभा रोमांचक हुआ

केरल : स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों से आगामी विधानसभा रोमांचक हुआ
Modified Date: December 14, 2025 / 06:17 pm IST
Published Date: December 14, 2025 6:17 pm IST

तिरुवनंतपुरम, 14 दिसंबर (भाषा) केरल विधानसभा चुनाव अगले साल के पूर्वार्ध में होंगे और ऐसे में स्थानीय निकाय चुनावों के परिणामों ने स्थिति रोमांचक बना दी है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को इन नतीजों से अगली लड़ाई में अनुकूल स्थिति दिखाई दे रही है जबकि सत्तारूढ़ वाम मोर्चा के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण हालात के संकेत मिलते हैं।

इन नतीजों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी उत्साहित है और उसे संभावनाएं नजर आ रही हैं। मौजूदा केरल विधानसभा में पार्टी का कोई विधायक नहीं है।

राज्य चुनाव आयोग द्वारा शनिवार को घोषित नतीजों के मुताबिक स्थानीय निकाय चुनाव में संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने कुल 1,199 स्थानीय निकायों में से चार निगम, 54 नगरपालिकाएं, सात जिला पंचायतें, 79 प्रखंड पंचायतें और 505 ग्राम पंचायतों में जीत दर्ज की है।

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वहीं, सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने एक नगर निगम, 28 नगरपालिकाओं, सात जिला पंचायतों, 63 प्रखंड पंचायतों और 340 ग्राम पंचायतों में जीत हासिल की जबकि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने एक निगम, दो नगरपालिकाओं और 26 ग्राम पंचायतों में विजयी रहा है।

स्थानीय निकाय चुनावों में मिली शानदार जीत यूडीएफ के लिए संजीवनी बन गई है, जिसे एक महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव का सामना करना पड़ रहा है, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के प्रभावशाली प्रदर्शन ने राज्य की पारंपरिक द्विध्रुवीय राजनीति को प्रभावी रूप से क्षीण किया है।

एलडीएफ के लिए विधानसभा चुनाव से पहले के महीने महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि उसे यह साबित करना होगा कि उसका जमीनी स्तर का समर्थन आधार बरकरार है और लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की क्षमता है।

इन नतीजों के आने के बाद यूडीएफ ने स्पष्ट किया है कि वह जीत से अतिआत्मविश्वास में नहीं आया है और स्वीकार किया कि उसे गति बनाए रखने के लिए और अधिक मेहनत करनी होगी। वहीं, सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य नेतृत्व ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए अपनी हार का कारण अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रमों को बताया।

भाजपा के राज्य नेतृत्व ने कहा कि नगर निगम चुनावों में मिली यह उपलब्धि आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें और अधिक मजबूती से आगे बढ़ने में मदद करेगी।

प्रमुख राजनीतिक गठबंधन अपनी सफलताओं और असफलताओं के कारणों का विश्लेषण करने में व्यस्त हैं।

प्रतिष्ठित तिरुवनंतपुरम नगर निगम पर कई दशकों से एलडीएफ का कब्जा था लेकिन इसपर भाजपा की जीत दोनों पारंपरिक मोर्चों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुयी है।

यूडीएफ के मुताबिक शबरिमला मामले, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, सांप्रदायिक तुष्टीकरण और जनता से जुड़ाव में कमी जैसे मुद्दों के कारण उत्पन्न सत्ता-विरोधी लहर ने भाजपा को जीत दर्ज करने में मदद की।

यूडीएफ ने विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया विशेष रूप से राजनीतिक रूप से संवेदनशील शबरिमला सोना गबन मामला। प्रतीत होता है कि उसके अभियान ने मतदाताओं के एक व्यापक वर्ग को प्रभावित किया।

कांग्रेस नीत मोर्चे ने कहा कि पीएम श्री योजना, केंद्र के श्रम कानूनों और बहुसंख्यक समुदाय को खुश करने के प्रयासों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ लगे आरोपों ने भी उनकी हार में योगदान दिया।

परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीशन और केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी)के अध्यक्ष सनी जोसेफ ने कहा कि उनकी भारी जीत एलडीएफ सरकार के खिलाफ जनता के तीव्र असंतोष और आक्रोश को दर्शाती है।

कांग्रेस नेतृत्व ने राज्य में भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता और तिरुवनंतपुरम नगर निगम में उसकी जीत का श्रेय एलडीएफ की नीतियों को दिया।

यूडीएफ नेताओं ने कहा कि गठबंधन को मिली सफलता को बनाए रखने और विधानसभा चुनावों में इस जीत को दोहराने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।

सत्तारूढ़ गठबंधन प्रचार के दौरान मुख्य रूप से राज्य सरकार के विभिन्न सामाजिक कल्याण और विकास कार्यक्रमों, पलक्कड़ से विधायक राहुल ममकूटाथिल के खिलाफ आरोपों और यूडीएफ के जमात-ए-इस्लामी के साथ कथित संबंधों पर निर्भर था। एलडीएफ ने स्वीकार किया कि उसे इस तरह के बड़े झटके की उम्मीद नहीं की थी।

नतीजे संकेत देते हैं कि निकाय चुनाव से ठीक पहले एलडीएफ सरकार द्वारा घोषित कल्याणकारी उपाय, जिनमें सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पेंशन में वृद्धि, आशा कार्यकर्ताओं के लिए उच्च मानदेय और एक नई महिला सुरक्षा योजना शामिल है, और कई अन्य वित्तीय पैकेज प्रभावी साबित नहीं हुए।

हालांकि, एलडीएफ नेतृत्व ने कहा कि पार्टी और मोर्चे को अतीत में इससे भी अधिक गंभीर असफलताओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने जनता का विश्वास फिर से हासिल किया और बाद में जोरदार वापसी की।

माकपा राज्य सचिवालय ने एक बयान में कहा, ‘‘पार्टी ने हर चरण में उचित आकलन करने और आवश्यक सुधार करने के बाद ही आगे कदम बढ़ाया है। जनता का विश्वास पुनः प्राप्त करना और ऐसे सुधारों के माध्यम से और भी मजबूत होकर वापसी करना पार्टी के इतिहास का हिस्सा है।’’

माकपा ने यूडीएफ पर खुलेआम और गुप्त रूप से सभी सांप्रदायिक ताकतों के साथ साठगांठ कर चुनाव लड़ने का आरोप लगाया।

वाम मोर्चे ने भाजपा की बड़ी जीत के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह तथ्यों से मेल नहीं खाते।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि जब लोग सचमुच बदलाव चाहते हैं, तो वह निश्चित रूप से होगा।

भाषा धीरज नरेश

नरेश


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