Id-ul-Azaha 2021 : ईद-उल- अज़हा पर कोविड का असर, बकरे महंगे, ग्राहकों का बजट कम

Id-ul-Azaha 2021 : ईद-उल- अज़हा पर कोविड का असर, बकरे महंगे, ग्राहकों का बजट कम

Id-ul-Azaha 2021 : ईद-उल- अज़हा पर कोविड का असर, बकरे महंगे, ग्राहकों का बजट कम
Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: July 20, 2021 6:02 am IST

Id-ul-Azaha 2021

(अहमद नोमान)

नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) कोरोना वायरस की घातक दूसरी लहर का असर ईल-उल-अज़हा के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में लगने वाली बकरा मंड़ियों पर पड़ा है। लॉकडाउन में आम लोगों की आदमनी घटी है जबकि महंगाई, खास कर पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के कारण दूर दराज़ के इलाकों से बकरों को दिल्ली लाने की लगात में इजाफा हुआ है, और बकरा पिछले साल की तुलना में करीब 50 फीसदी तक मंहगा हो गया है।

महामारी की संभावित तीसरी लहर को रोकने के लिए दिल्ली में प्रशासन सख्ती बरत रहा है। ऐसे में पुरानी दिल्ली, सीलमपुर और ओखला समेत अन्य इलाकों में बकरा मंडियों का स्वरूप पिछले सालों जैसा नहीं है। इस बार जानवर कम भी आए हैं, और महंगे हैं। बकरीद बुधवार को मनाया जाएगा। उस दिन मुस्लिम बकरे, दुंबे और अन्य जानवरों की कुर्बानी करते हैं।

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सीलमपुर में सड़क किनारे लगी मंडी में आए बरेली के आशु ने कहा, “बाजारों को लेकर प्रशासन सख्त है, इसलिए हमने बकरे सस्ते में बेच दिए हैं। हमें घाटा हुआ है। लॉकडाउन में पहले ही हमारी मांस की दुकान कई महीनों तक बंद रही जिस वजह से हमें आर्थिक तौर पर खासी परेशानी हुई, सोचा था कि बकरे बेचने से कुछ कमाई हो जाएगी, लेकिन इसमें भी घाटा हो गया।”

आशु हर साल ईद-उल-अज़हा के मौके पर व्यापार के लिए 30-40 बकरे लेकर दिल्ली के जाफराबाद व सीलमपुर आया करते थे। इस बार वह सिर्फ आठ बकरे ही लेकर आए हैं।

दिलशाद गार्डन के रहने वाले जावेद ने 8700 रुपये का बकरा खरीदा है। उनका कहना है कि पिछले साल की तुलना में बकरा इस बार काफी मंहगा है। फर्नीचर का काम करने वाले जावेद बताते हैं, “लॉकडाउन की वजह से पिछले साल और इस साल कई महीनों तक मेरी दुकान बंद रही, जिसका असर कुर्बानी के मेरे बजट पर पड़ा है। मैं अक्सर दो-तीन बकरे खरीदता था, लेकिन इस बार सिर्फ एक ही जानवर खरीदा है।’’

पुरानी दिल्ली के लाल कुएं में रहने वाले और पेशे से वकील युसूफ नकी ने भी यही बात कही। वह कहते हैं, “ कोविड-19 के कारण अदालतें बंद हैं और नियमित मकदमों की सुनवाई नहीं हो रही है, जिस वजह से न मुवक्किल हैं और न फीस है।”

मंडियों में आए कई ग्राहकों का कहना है कि बकरा पिछले साल की तुलना में करीब 50 फीसदी तक मंहगा है। उनका कहना है कि वे मान रहे थे कि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां कम हुई हैं तो जानवरों के दाम कम होंगे।

उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ के पास स्थित अतरोली से 75 बकरे लेकर जाफरबाद में लगी बकरा मंडी में आए रिज़वान इसका कारण बताते हुए कहते हैं, “ हम लोग ग्रामीणों से बकरा खरीदते हैं, लेकिन इस बार ग्रामीणों ने ही हमें महंगा बकरा दिया है और इसके बाद पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ने से बकरों को गांव से दिल्ली लाने की लागत बढ़ी है।’’

लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां रुकने से कई लोगों के काम खत्म हुए हैं, जिस वजह से वे बकरे बेच रहे हैं। दिल्ली के विजय पार्क इलाके में रहने वाले मोहम्मद नईम इलाके में प्रोपर्टी डीलर का काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से कई महीनों से आमदनी नहीं हुई। उन्होंने इस बार बकरे बेचने का फैसला किया है।

बरेली से आए रईस बाबू दिहाड़ी मजदूर हैं, लेकिन उन्हें कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से कई महीने काम नहीं मिला। लिहाज़ा वह पहली बार बकरे बेचने दिल्ली आए हैं और इस काम को करने के लिए उन्होंने ब्याज पर पैसा लिया है।

सीलमपुर मंडी में रईस ने बताया, “ प्रशासन मंडी नहीं लगने दे रहा है, वहीं लॉकडाउन की वजह से ग्राहक भी ज्यादा नहीं हैं। छह बकरे लाए थे, अबतक सिर्फ दो ही बिके हैं।’’

भाषा नोमान

नोमान शाहिद

शाहिद

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लेखक के बारे में

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