Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024: कद छोटा लेकिन दिल बड़ा, खुद रुकवा दिया था बेटे का प्रमोशन, ऐसे थे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री
Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024: कद छोटा लेकिन दिल बड़ा, खुद रुकवा दिया था बेटे का प्रमोशन, ऐसे थे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री
Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024
नई दिल्ली: Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024 आज देश के दो बड़े महापुरुषों का जन्मदिन है। गांधी जी के अलावा आज के ही दिन पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्म हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री आजाद भार के दूसरे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 1904 में 2 अक्टूबर को हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री कद में छोटे थे लेकिन अपने बड़े फैसलों और उच्च विचारों के लिए याद किए जाते हैं। उन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में भी एक अहम भूमिका निभाई है।
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मुगलसराय में हुआ था जन्म
आपको बताते चलें कि, भारत के पूर्व मुख्यमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। और पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद उन्होंने देश की सत्ता संभाली थी। लाल बहादुर शास्त्री जी के आदर्श विचार आज भी लोग याद करते है तो वहीं उनका देश के लिए किया योगदान इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम है।
जय जवान, जय किसान का दिया नारा
आपको बता दें कि इस समय भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन में अक्सर ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे लगाए जा रहे हैं। यह नारा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (1904-66) ने 1965 में दिया था। उनके प्रतिष्ठित नारे जय जवान, जय किसान (सैनिक की जय, किसान की जय) के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है। वह भष्ट्राचार के खिलाफ लिए जाने वाले फैसलों और अपने विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते थे।
अपने बेटे का प्रमोशन रोका
लाल बहादुर शास्त्री जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने अपने ही बेटे का प्रमोशन रुकवा दिया था। दरअसल, उन्हें जानकारी मिली की उनके बेटे का नौकरी में अनुचित तरीके से प्रमोशन दिया गया है। इससे वह नाराज हो गए और तुरंत पदोन्नति वापस लेने के लिए आदेश जारी कर दिया। बताया जाता है कि वह बेटे का प्रमोशन करने वाले अधिकारी से काफी नाराज हुए थे। शास्त्री जी का यह फैसला और भी नेताओं के लिए प्रेरणास्रोत है।

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