नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) विधि आयोग ने कहा कि उसका मानना है कि राजद्रोह से निपटने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को बरकरार रखने की आवश्यकता है, लेकिन इसके इस्तेमाल के संबंध में अधिक स्पष्टता लाने के लिए कुछ संशोधन किए जा सकते हैं।
सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा कि धारा 124ए के दुरुपयोग संबंधी विचार पर गौर करते हुए वह यह सिफारिश करता है कि केंद्र द्वारा दुरुपयोगों पर लगाम लगाते हुए आदर्श दिशानिर्देश जारी किया जाए।
22वें विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे पत्र में कहा, ‘‘इस संदर्भ में वैकल्पिक रूप से यह भी सुझाव दिया जाता है कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 196 (3) के अनुरूप एक प्रावधान शामिल किया जा सकता है जो भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत किसी अपराध के संबंध में प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले अपेक्षित प्रक्रियात्मक सुरक्षा प्रदान करेगा।’’
आयोग ने यह भी कहा कि ‘‘औपनिवेशिक विरासत’’ होने के आधार पर राजद्रोह को निरस्त करना उचित नहीं है।
आयोग ने कहा, ‘‘महज इस आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को निरस्त करना कि कुछ देशों ने ऐसा किया है, यह अनिवार्य रूप से भारत की मौजूदा जमीनी हकीकत के प्रति आंख मूंदना है।’’
भाषा गोला संतोष
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