यूएपीए जैसे कानून मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए, उन्हें छीनने के लिए नहीं: एनएचआरसी प्रमुख

यूएपीए जैसे कानून मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए, उन्हें छीनने के लिए नहीं: एनएचआरसी प्रमुख

यूएपीए जैसे कानून मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए, उन्हें छीनने के लिए नहीं: एनएचआरसी प्रमुख
Modified Date: November 29, 2022 / 07:50 pm IST
Published Date: November 23, 2022 10:39 pm IST

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने बुधवार को कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे कुछ विशेष कानून मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं न कि उन्हें छीनने के लिए।

वह यहां सीआईएसएफ के सहयोग से आयोजित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के लिए एनएचआरसी की 27वीं वार्षिक वाद-विवाद प्रतियोगिता में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। एनएचआरसी द्वारा जारी एक बयान में मिश्रा के हवाले से कहा गया, ‘‘यूएपीए जैसे कुछ विशेष कानून मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए थे न कि उन्हें छीनने के लिए।’’

उन्होंने कहा कि प्रतिकूल हालात से निपटने में शक्ति का इस्तेमाल करने की अवधारणा ‘‘मानव धर्म’’ के भारतीय विचार में अंतर्निहित है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों का संवर्धन और संरक्षण भारतीय संस्कृति, दर्शन और अभ्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारतीय शास्त्रों में ऋग्वेद के ठीक बाद हुई है।

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एनएचआरसी प्रमुख ने कहा कि यह रामायण काल में परिलक्षित हुआ था जब भगवान राम ने लक्ष्मण को युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर विनाश के हथियार के बजाय सीमित बल का उपयोग करने की सलाह दी थी, और महाभारत काल में भी, जब योद्धा सिद्धांतों पर लड़ते थे और सूर्यास्त के बाद घायलों की देखभाल करने के लिए प्रतिद्वंद्वी शिविरों में जाते थे।

उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय मूल्य लोगों का प्रकृति में सभी तत्वों की रक्षा करने और बढ़ावा देने के लिए मार्गदर्शन करते हैं, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत आवश्यक हैं। मिश्रा ने कहा कि नैतिकता से रहित प्रौद्योगिकी पर्यावरण और जीवन के लिए विनाशकारी होगी। उन्होंने राष्ट्र और विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए नागरिकों की रक्षा करने में सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना की।

भाषा आशीष मनीषा

मनीषा


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