फिर लगेगा लॉकडाउन? मजदूरों को सता रहा डर, फिर शुरू हुआ पलायन का दौर, स्टेशन पर उमड़ी भीड़
फिर लगेगा लॉकडाउन? मजदूरों को सता राह डर, फिर शुरू हुआ पलायन का दौर! Lockdown Again in Across India? Starts Migration of Labours
मुंबई: Lockdown in India 2022? कोरोना की पहली लहर में अचानक लॉकडाउन लगने के बाद बड़े शहरों से घर लौटने वाले मज़दूरों की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आई थी। लोगों को हज़ारों किलोमीटर दूर अपने गांव पैदल जाते हुए देखा गया था। लाचार मज़दूर हाथ में बैग और कंधे पर बच्चों को लिए पैदल ही मीलों दूर अपने घर की तरफ बढ़ गए थे। अब महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच एक बार फिर ऐसा ही नजारा दिख रहा है। मुंबई में प्रवासी मजदूर रेलवे स्टेशन पर डेरा जमाए हुए हैं। सबकी कोशिश यही है कि कैसे भी लॉकडाउन से पहले अपने गांव-अपने घर पहुंचा जा सके।
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Lockdown in India 2022? मुंबई में रेलवे स्टेशन पर जमे प्रवासियों को पुलिस के डंडे भी खाने पड़े, ट्रेन की टिकट भी नहीं मिली। इसके बावजूद मजदूर वहां से नहीं हिले। वजह साफ थी.. अगर मुंबई में लॉकडाउन लग गया, तो वो भूखे मर जाएंगे। दरअसल, मुंबई में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। ऐसे में टोटल लॉकडाउन की चर्चा से प्रवासी और खासतौर पर मजदूर बेहद डरे हुए हैं। गुरुवार रात से ही मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर प्रवासियों की भीड़ उमड़ने लगी थी।
मुंबई में कुर्ला के लोकमान्य तिलक टर्मिनस से ही उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली ज्यादातर ट्रेनें रवाना होती हैं। मुंबई के प्रवासियों में बड़ी संख्या इन्हीं इलाके के लोगों की है। ऐसे में लोकमान्य टर्मिनस पर गुरुवार रात 8 बजे से ही भीड़ बढ़ने लगी थी। इसमें ज्यादातर मजदूर वर्ग के लोग थे, जो शुक्रवार सुबह की ट्रेन के लिए लॉकडाउन के डर से देर रात ही स्टेशन पहुंच गए थे। उनका कहना था कि यहां रुके तो भूखों मरने की नौबत आ जायेगी। ऐसे में यहां रहकर क्या करेंगे?
इनमें से ज़्यादातर के पास तो टिकट भी नहीं थी। ऐसे में पुलिस इन्हें स्टेशन के अंदर नहीं जाने दे रही थी। डंडे का धौंस भी दिखाया गया मगर मज़दूर नहीं माने। उन्होंने स्टेशन के बाहर ही डेरा जमा लिया। स्टेशन के बाहर हर कोई टिकट और ट्रेन को लेकर उलझन में दिख रहा है। उन्हें हालात के बारे में समझाने वाला कोई नहीं। पुलिस के पास जाएं, तो डंडे पड़ते हैं। स्टेशन पर भी बस यही ऐलान हो रहा है कि बिना टिकट वाले वापस लौट जाएं।
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लोगों के डर और पलायन का यह सिलसिला जारी है। अगर लॉकडाउन की स्थिति बनती है, तो स्टेशन पर ऐसी कोई भी व्यवस्था नजर नहीं आई, जो आपात स्थिति से निपट सके। न डॉक्टर मौजूद थे, न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा था और न ही मजदूरों की टेस्टिंग का कोई इंतजाम था। कोरोना की तीसरी लहर अब कई बड़े शहरों में दस्तक दे चुकी है। लगभग हर राज्य में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया। स्कूल, कॉलेज, जिम, पार्क सब बंद कराए जा रहें हैं। इसी को देखते हुए मज़दूर घबराएं हुए हैं। ऐसे में हम आपको एक बार फिर बताना चाहेंगे कि प्लीस, पैनिक ना करें। दूसरे देशों में देखा गया कि ओमिक्रोन की लहर जितनी तेज़ी से आई उतनी तेज़ी से चली भी गई। उम्मीद है कि भारत में भी हमें यही देखने को मिलेगा। पर तबतक आपको संयम बरतते हुए कोरोना से जुड़ी सारी गाइडलाईन्स का पालन करना है।

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