लोकसभा, राज्यसभा ने विधायी कामकाज में 30 प्रतिशत से कम समय लगाया
लोकसभा, राज्यसभा ने विधायी कामकाज में 30 प्रतिशत से कम समय लगाया
नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) लोकसभा और राज्यसभा ने वर्ष 2025 में अपने निर्धारित समय का 30 प्रतिशत से भी कम हिस्सा विधायी कार्यों में लगाया, जिसमें विधेयकों पर चर्चा और उन्हें पारित करना शामिल है।
विधायी थिंक टैंक ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के विश्लेषण के अनुसार, प्रश्नकाल निर्धारित समय से कम अवधि तक चला।
लोकसभा में प्रश्नकाल सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक होता है, जबकि उच्च सदन यानी राज्यसभा में यह दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक आयोजित किया जाता है।
विश्लेषण में कहा गया है, ‘‘कुल समय का 30 प्रतिशत से भी कम हिस्सा विधायी कार्यों पर खर्च किया गया। इसमें विधेयकों पर चर्चा और उन्हें पारित करने में लगा समय शामिल है।”
वर्ष 2025 में संसद द्वारा 31 विधेयक पारित किए गए। इनमें भारत में वक्फ संपत्तियों से संबंधित नियमों में संशोधन करने वाला एक विधेयक और आयकर कानूनों को सरल बनाने वाला एक विधेयक शामिल है।
ऑनलाइन मनी गेम और उनसे संबंधित सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया। परमाणु ऊर्जा और बीमा क्षेत्रों को खोलने वाला विधेयक पारित हुआ।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 में संशोधन किया गया। इस अधिनियम के स्थान पर ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक’ पारित किया गया जो अब कानून का रूप ले चुका है। जी राम जी अधिनियम के तहत रोजगार की गारंटी बढ़ाकर सालाना 125 दिन कर दी गई है।
इस 18वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान संसद में कुल 42 विधेयक पेश किए गए। इनमें से 26 प्रतिशत यानी 11 विधेयकों को विस्तृत विचार-विमर्श के लिए संसदीय समितियों के पास भेजा गया।
केवल एक विधेयक को विभाग संबंधित स्थायी समिति को भेजा गया। इनमें एक साथ चुनाव से संबंधित दो विधेयक शामिल हैं। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों तथा मंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहने पर उन्हें पद से हटाने के प्रावधान वाले तीन विधेयक भी संयुक्त समिति के पास भेजे गए।
भाषा हक हक पवनेश
पवनेश

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