नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) एक नए शोध में दावा किया गया है कि ‘लॉन्ग कोविड’ के अलग-अलग आबादी में अलग लक्षण और खतरे होते हैं।
इस शोध में इस बात को विशेष तौर पर रेखांकित किया गया है कि ‘लॉन्ग कोविड’ को सटीक तरह से समझने और बेहतर निदान एवं उपचार सुविधाएं विकसित करने के लिए और अधिक अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
यह शोध ‘नेचर कम्युनिकेशन्स’ पत्रिका के हालिया अंक में प्रकाशित किया गया है। इसमें कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने वाले अलग-अलद वर्गों के उन अमेरिकी मरीजों के ऑनलाइन स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया है, जिनमें ठीक होने के लंबे समय बाद तक भी बीमारी के लक्षण लगातार बने रहे। चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति को ही ‘लॉन्ग कोविड’ कहते हैं।
वेल कॉरनेल मेडिसिन में जन स्वास्थ्य विज्ञान के सलाहकार चेंग्क्सी झांग ने कहा, “लॉन्ग कोविड एक नयी बीमारी है, जो बहुत जटिल है और जिसका वर्गीकरण करना बेहद मुश्किल है।”
उन्होंने कहा, “लॉन्ग कोविड कई अंगों को प्रभावित करता है और समाज पर बोझ बढ़ाता है, जिसके चलते इस बीमारी को सटीक तरीके से समझना और अलग-अलग आबादी में इसके असर का आकलन करना बेहद जरूरी है। यह शोधपत्र इस दिशा में और अध्ययन की जरूरत को रेखांकित करता है।”
शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने न्यूयॉर्क के 1.1 करोड़ और फ्लोरिडा, जॉर्जिया व अल्बामा के 1.68 करोड़ मरीजों के ऑनलाइन स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया।
उन्होंने कोविड-19 से संक्रमित होने वाले लोगों में पनपी बीमारियों और लक्षणों के बारे में पता लगाया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में कोविड-19 को मात देने वाले मरीजों में आगे चलकर डिमेंशिया, बाल झड़ने, पेट और छोटी आंत में छाले पड़ने, फेफड़ों में खून के थक्के जमने, सीने में दर्द, हृदयगति अनियंत्रित होने और कमजोरी की शिकायत उभरी।
भाषा पारुल नरेश
नरेश
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