मध्यप्रदेश: यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान के बारे में आशंकाओं को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान
मध्यप्रदेश: यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान के बारे में आशंकाओं को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान
धार, 19 जनवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के धार जिले में यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे के प्रस्तावित निस्तारण को लेकर लोगों के मन में डर को दूर करने के लिए 150 ‘मास्टर ट्रेनर’ जानकारी पर्चों के साथ विद्यालयों, उद्योगों, दुकानों और बाजारों में जा-जाकर लोगों से मिल रहे हैं। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
भोपाल में अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना पर इस महीने की शुरुआत में लोगों के आक्रोश के बाद सरकार लोगों को यह समझाने के लिए कदम उठा रही है कि इससे कोई नकारात्मक असर नहीं होगा।
धार जिलाधिकारी प्रियांक मिश्रा ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विज्ञान शिक्षकों, प्रोफेसरों और अधिकारियों सहित लगभग 150 ‘मास्टर ट्रेनर’ विद्यालयों, उद्योगों, दुकानों, बाजारों और अन्य जगहों पर जा-जाकर लोगों से मिल रहे हैं ताकि कचरे के निपटान के बारे में डर को दूर किया जा सके।
उन्होंने बताया कि ये ‘मास्टर ट्रेनर’ पर्चे बांट रहे हैं और पीथमपुर में लोगों से बातचीत कर रहे हैं ताकि उन्हें बताया जा सके कि कचरा जहरीला नहीं है।
मिश्रा ने बताया, “इस सप्ताह हम नुक्कड़ सभाएं करके जागरूकता फैलाएंगे। हमारा अभियान दो और सप्ताह तक जारी रहेगा।”
सामाजिक कार्यकर्ता संदीप रघुवंशी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह कचरे को जलाने के विरोध में फरवरी में मशाल जुलूस निकालेंगे।
रघुवंशी ने दो जनवरी को पीथमपुर बस स्टैंड के पास अपने अनिश्चितकालीन धरने के साथ कचरा निस्तारण के खिलाफ एक जनआंदोलन की शुरुआत की थी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, भारत के प्रधान न्यायाधीश और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए पीथमपुर निवासियों द्वारा हस्ताक्षरित पोस्टकार्ड भेजने के उनके अभियान ने गति पकड़ ली है।
रघुवंशी ने बताया कि अब तक 25,000 से अधिक पोस्टकार्ड भेजे जा चुके हैं और इस महीने के अंत तक एक लाख पोस्टकार्ड भेजने की योजना है।
उन्होंने बताया कि अगले महीने एक विशाल मशाल जुलूस निकाला जाएगा।
दो जनवरी को 12 सीलबंद कंटेनरों में भर कर भेजे गए यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के कचरे को पीथमपुर में निपटान स्थल पर ले जाया गया था।
भाषा जितेंद्र प्रशांत
प्रशांत

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