Maharashtra Crisis: पवार उद्धव से नाराज, बोले आप देश के बड़े राज्य के CM हो

Maharashtra Crisis: शरद पवार का उद्धव पर सवाल, नाराजगी भरे लहजे में बोले आखिर क्यों नहीं चला आपको पता, उद्धव ने कहा…

Maharashtra political Crisis: आमतौर पर राज्यों के मुख्यमंत्री रोजाना एक ब्रीफिंग दी जाती है। इसमें राज्यभर में चल रहे हालात का अपडेट होता है। यह काम या तो मुख्य सचिव करते हैं या मुख्यमंत्रियों के अपने निज सचिव या फिर कुछ राज्यों में डीजी या एडीजी  इंटेलीजेंस के जिम्मे होता है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:15 PM IST, Published Date : June 25, 2022/3:01 pm IST

Maharashtra political Crisis: मुंबई: शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से सीधा सवाल किया है। उन्होंने कहा है कि आखिर मुख्यमंत्री को उसके राज्य में क्या हो रहा है ये पता क्यों नहीं चल पाया। इतनी  बड़ी बगावत से आप अनजान कैसे रह सकते हैं। शरद पवार और उद्धव ठाकरे की बैठक में यह मुद्दा छाया रहा। शरद पवार ने कहा, उद्धव आपको राजीतिक रूप से जागरूक रहना चाहिए। एकनाथ शिंडे के नेतृत्व में हुई बड़ी तोड़फोड़ के बाद शरद पवार की एंट्री हुई है। शरद पवार ने उद्धव से सवाल किए  हैं। उनका कहना है मुख्यमंत्री के पास सारी रिपोर्ट्स होनी चाहिए।

यह है इंटेलीजेंस की व्यवस्था

Maharashtra political Crisis: आमतौर पर राज्यों के मुख्यमंत्री रोजाना एक ब्रीफिंग दी जाती है। इसमें राज्यभर में चल रहे हालात का अपडेट होता है। यह काम या तो मुख्य सचिव करते हैं या मुख्यमंत्रियों के अपने निज सचिव या फिर कुछ राज्यों में डीजी या एडीजी  इंटेलीजेंस के जिम्मे होता है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को यह पता नहीं चला। इसका अर्थ यह है कि उन्होंने  सरकार को ऑटोमेटिक मोड पर डाल दिया था।

ऐसे आती है इंटेलीजेंस रिपोर्ट

यह रिपोर्ट राज्यों में  सक्रिय एलआईबी यानी लोकल इनफॉर्मेशन ब्यूरो के जरिए प्रतिदिन राज्य में तैनात आईजी इंटेलीजेंस के जरिए कलेक्ट की जाती है। यह एक सतत होते रहने वाली प्रक्रिया है। राजनीतिक मामलों में  जिला कलेक्टर इस रिपोर्ट को कंपाइल करते हैं, जबकि बाकी मामलों में पुलिस एसपी के जरिए यह किया जाता है। अलग-अलग राज्यों में यह व्यवस्था अलग-अलग ढंग से संचालित होती है। इसमें राज्य के लॉ एंड ऑर्डर देख रहे अफसरों को भी एक इनपुट दिया जाता है। यह रिपोर्ट मुख्य रूप से अंग्रेजी शासन में 1857 के विद्रोह के बाद शुरू की गई थी। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक 1857 के पहले आजादी के संग्राम की अंग्रेजी सरकार को भनक नहीं लग पाई थी। तभी से यह सिस्टम लागू किया  गया था। यही सिस्टम केंद्र में प्रधानमंत्री के पास होता है। यहां यह रिपोर्ट पीएमओ को नियमित रूप से गृह मंत्रालय के जरिए जाती है।

पहले गुप्तचर व्यवस्था

पुरानी राज व्यवस्था में भी गुप्तचर व्यवस्था लागू रहती थी। इसके माध्यम से राजा अपनी प्रजा में चल रहे व्यवहार को जानते थे। इतिहास में ऐसे कई किस्से हैं, जिनमें राजाओं ने इस व्यवस्था से ही बाहरी हमलों की जानकारी पता की।

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