Maharashtra political Crisis: आमतौर पर राज्यों के मुख्यमंत्री रोजाना एक ब्रीफिंग दी जाती है। इसमें राज्यभर में चल रहे हालात का अपडेट होता है। यह काम या तो मुख्य सचिव करते हैं या मुख्यमंत्रियों के अपने निज सचिव या फिर कुछ राज्यों में डीजी या एडीजी इंटेलीजेंस के जिम्मे होता है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को यह पता नहीं चला। इसका अर्थ यह है कि उन्होंने सरकार को ऑटोमेटिक मोड पर डाल दिया था।
यह रिपोर्ट राज्यों में सक्रिय एलआईबी यानी लोकल इनफॉर्मेशन ब्यूरो के जरिए प्रतिदिन राज्य में तैनात आईजी इंटेलीजेंस के जरिए कलेक्ट की जाती है। यह एक सतत होते रहने वाली प्रक्रिया है। राजनीतिक मामलों में जिला कलेक्टर इस रिपोर्ट को कंपाइल करते हैं, जबकि बाकी मामलों में पुलिस एसपी के जरिए यह किया जाता है। अलग-अलग राज्यों में यह व्यवस्था अलग-अलग ढंग से संचालित होती है। इसमें राज्य के लॉ एंड ऑर्डर देख रहे अफसरों को भी एक इनपुट दिया जाता है। यह रिपोर्ट मुख्य रूप से अंग्रेजी शासन में 1857 के विद्रोह के बाद शुरू की गई थी। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक 1857 के पहले आजादी के संग्राम की अंग्रेजी सरकार को भनक नहीं लग पाई थी। तभी से यह सिस्टम लागू किया गया था। यही सिस्टम केंद्र में प्रधानमंत्री के पास होता है। यहां यह रिपोर्ट पीएमओ को नियमित रूप से गृह मंत्रालय के जरिए जाती है।
पुरानी राज व्यवस्था में भी गुप्तचर व्यवस्था लागू रहती थी। इसके माध्यम से राजा अपनी प्रजा में चल रहे व्यवहार को जानते थे। इतिहास में ऐसे कई किस्से हैं, जिनमें राजाओं ने इस व्यवस्था से ही बाहरी हमलों की जानकारी पता की।
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