नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 354 करोड़ रुपये के कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में माल्टा के एक नागरिक को जमानत देने से इनकार कर दिया है। इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के व्यवसायी भांजे रतुल पुरी भी शामिल हैं।
विशेष न्यायाधीश रघुबीर सिंह ने माल्टा के नागरिक और बैंक ऑफ सिंगापुर के पूर्व ‘रिलेशनशिप मैनेजर’ नितिन भटनागर द्वारा दायर जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके संबंध में जांच अब भी चल रही है और अपराध का सार दिखाने वाली पूरक शिकायत (ईडी के आरोप पत्र के समतुल्य) अभी तक दायर नहीं की गई है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता और वर्तमान आवेदन को खारिज किया जाता है।’’
बाइस सितंबर को पारित आदेश में, न्यायाधीश ने अपराध में भटनागर की कथित भूमिका और धनशोधन में शामिल राशि का उल्लेख करते हुए उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया।
धनशोधन का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई 2019 की प्राथमिकी से उपजा है, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि मोजर बेयर इंडिया लिमिटेड (एमबीआईएल) और उसके प्रवर्तकों ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को कथित तौर पर धोखा दिया और उससे धोखाधड़ी की तथा उन्होंने उससे 354.51 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया।
बैंक द्वारा सीबीआई को शिकायत भेजे जाने के बाद मामला दर्ज किया गया।
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों ने रतुल पुरी, उनके पिता दीपक पुरी, मां नीता (कमलनाथ की बहन) और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस मामले में रतुल पुरी को 2019 में ईडी ने गिरफ्तार किया था और वह अब जमानत पर हैं।
सीबीआई और ईडी ने पुरी परिवार तथा संजय जैन और विनीत शर्मा जैसे व्यक्तियों पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
इस मामले में रतुल पुरी पर उनके पिता दीपक पुरी द्वारा प्रवर्तित कंपनी एमबीआईएल के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक के तौर पर मामला दर्ज किया गया था।
कंपनी कॉम्पैक्ट डिस्क, डीवीडी और सॉलिड स्टेट स्टोरेज डिवाइस जैसे ऑप्टिकल स्टोरेज मीडिया के निर्माण में शामिल थी।
बैंक ने एक बयान और सीबीआई को दी शिकायत में कहा था कि रतुल पुरी ने 2012 में कार्यकारी निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनके माता-पिता बोर्ड में बने हुए हैं।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी (मोजर बेयर) 2009 से विभिन्न बैंकों से ऋण ले रही थी तथा जब वह कर्ज का भुगतान नहीं कर पायी तो एक फोरेंसिक ऑडिट किया गया और 20 अप्रैल, 2019 को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा खाते को ‘धोखाधड़ी वाला’ घोषित कर दिया गया।
ईडी ने अदालत को बताया कि भटनागर ने बैंक ऑफ सिंगापुर में प्रिस्टीन रिवर इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड (दुबई स्थित निवेश होल्डिंग कंपनी) नामक कंपनी के लिए एक बैंक खाता खोलने में ‘सुविधा’ प्रदान की, क्योंकि वह इसका रिलेशनशिप मैनेजर था।
उसने दावा किया कि यह बैंक खाता अप्रैल, 2011 में ‘रतुल पुरी के निर्देश पर’ खोला गया था।
ईडी ने एक बयान में कहा, कंपनी (प्रिस्टीन रिवर) को यूएचवाई सक्सेना, मर्कोन कमोडिटीज और मिडास मेटल्स इंटरनेशनल जैसी कंपनियों से 1.41 करोड़ अमेरिकी डॉलर (118 करोड़ रुपये से अधिक) की अपराध की आय प्राप्त हुई, जिसका प्रबंधन और नियंत्रण राजीव सक्सेना द्वारा किया जाता था।
वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदा भ्रष्टाचार मामले में एक कथित बिचौलिया सक्सेना भी दुबई में रहता था और उसे 31 जनवरी, 2019 को संयुक्त अरब अमीरात से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। उसे ईडी और सीबीआई दोनों ने गिरफ्तार किया था।
ईडी ने अदालत के समक्ष दावा किया कि भटनागर कुछ अन्य कृत्यों को करने में सहायक था जिनका वर्तमान मामले पर प्रभाव है। रतुल पुरी ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग की जांच का सामना कर रहे हैं।
भाषा अमित प्रशांत
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