Maulana Azad scholarship closed: इन छात्रों को बड़ा झटका! बंद हुई ये स्कॉलरशिप, केंद्र सरकार ने संसद में दी जानकारी |

Maulana Azad scholarship closed: इन छात्रों को बड़ा झटका! बंद हुई ये स्कॉलरशिप, केंद्र सरकार ने संसद में दी जानकारी

Maulana Azad scholarship: सरकार ने कहा है कि यह योजना दूसरी योजनाओं को ओवरलैप करती है, इसलिए इसे बंद कर दिया गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी गुरुवार को लोकसभा में केरल के त्रिस्‍सूर से कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन के एक सवाल का जवाब देते हुए जानकारी दी है।

Edited By :   Modified Date:  January 5, 2023 / 05:39 PM IST, Published Date : December 9, 2022/1:32 pm IST

Maulana Azad scholarship closed:नई दिल्ली। उच्च शिक्षा के लिए अल्पसंख्यक छात्रों को मिलने वाली मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप को बंद कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में स्कॉलरशिप बंद करने को लेकर जानकारी दी है। सरकार ने कहा है कि यह योजना दूसरी योजनाओं को ओवरलैप करती है, इसलिए इसे बंद कर दिया गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी गुरुवार को लोकसभा में केरल के त्रिस्‍सूर से कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन के एक सवाल का जवाब देते हुए जानकारी दी है।

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2022-23 से MANF योजना को बंद करने का निर्णय

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, ‘MANF योजना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा लागू की गई थी और UGC द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 2014-15 और 2021-22 के बीच योजना के तहत 6,722 उम्मीदवारों का चयन किया गया था और उसी अवधि के दौरान 738.85 करोड़ रुपये की फैलोशिप वितरित की गई थी। चूंकि MANF योजना सरकार द्वारा लागू की जा रही उच्च शिक्षा के लिए विभिन्न अन्य फेलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है और अल्पसंख्यक छात्र पहले से ही ऐसी योजनाओं के तहत कवर किए गए हैं, इसलिए सरकार ने 2022-23 से MANF योजना को बंद करने का निर्णय लिया है।’

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6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों- बौद्ध, ईसाई, जैन, मुस्लिम, पारसी और सिख वित्तीय को सहायता

Maulana Azad scholarship closed :मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोशिप 2009 में शुरू की गई थी, जिसके जरिए 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों- बौद्ध, ईसाई, जैन, मुस्लिम, पारसी और सिख – के छात्रों को एमफिल और पीएचडी करने के लिए सरकार की ओर से 5 वर्ष तक वित्तीय सहायता दी जाती थी। भारत में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने वाली सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू करने के उपायों के तहत यह योजना शुरू की गई थी। केंद्रीय मंत्री की ओर से मिले जवाब पर मीडिया के साथ बातचीत में कांग्रेस सांसद टीएम प्रतापन ने कहा, ‘यह अन्याय है, केंद्र सरकार के इस कदम से कई शोधकर्ता आगे अध्ययन करने का मौका खो देंगे।’

 
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