मानसिक स्वास्थ्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य अधिकार है, भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत : डब्ल्यूएचओ

मानसिक स्वास्थ्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य अधिकार है, भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत : डब्ल्यूएचओ

मानसिक स्वास्थ्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य अधिकार है, भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत : डब्ल्यूएचओ
Modified Date: October 10, 2023 / 04:47 pm IST
Published Date: October 10, 2023 4:47 pm IST

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को लेकर भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं तक सभी की पहुंच होनी चाहिए, भले ही उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य एक सार्वभौमिक मानव अधिकार है।

डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘‘जैसे कि शारीरिक स्वास्थ्य का अधिकार मानव गरिमा का एक मूलभूत पहलू है, उसी तरह मानसिक स्वास्थ्य का अधिकार भी उतना ही अपरिहार्य है।’’

 ⁠

उन्होंने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों में हर सात में एक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझ रहा है। इस क्षेत्र में भारत भी आता है।

बेचैनी और अवसादग्रस्त विकार पुरुषों और महिलाओं दोनों में देखे गए हैं जो इस क्षेत्र में मानसिक विकार से ग्रस्त लोगों की कुल संख्या का तकरीबन 50 फीसदी है।

उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को सार्वभौमिक मानसिक अधिकार के रूप में मान्यता देने के लिए समाज के दृष्टिकोण और सरकारी नीतियों में बदलाव लाने की जरूरत है।

सिंह ने कहा, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को लेकर भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भेदभाव और भ्रांति प्रमुख अवरोधक हैं जो लोगों को मदद मांगने से रोकता है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं तक सभी की पहुंच होनी चाहिए, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति, स्थान या अन्य परिस्थितियां कुछ भी हो।’’

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति के मानसिक कुशलक्षेम का असर उनके अन्य अधिकारों जैसे कि शिक्षा का अधिकार और काम करने के अधिकार पर भी पड़ता है। जब मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है तो लोग सामाजिक गतिविधियों में अधिक सार्थक रूप से शामिल होते हैं।

भाषा

गोला पवनेश

पवनेश


लेखक के बारे में