Hearing on Modi’s Degree: PM मोदी की डिग्री को लेकर याचिका, मुख्यमंत्री की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी, जानें फैसला

hearing on Modi's degree: अप्रैल 2016 में, तत्कालीन सीआईसी आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी की डिग्री के बारे में केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था।

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  • Publish Date - September 29, 2023 / 10:48 PM IST,
    Updated On - September 29, 2023 / 11:22 PM IST

hearing on Modi's degree

hearing on Modi’s degree: अहमदाबाद, 29 सितंबर। गुजरात उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री से संबंधित मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर बहस पूरी होने के बाद शुक्रवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

इससे पहले जून में, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उसके हालिया आदेश की समीक्षा की मांग की। उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस निर्देश को दरकिनार कर दिया था जिसमें उसने गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री मोदी की कला परास्नातक (एमए) की डिग्री के बारे में उन्हें जानकारी मुहैया कराने को कहा था।

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न्यायमूर्ति वैष्णव ने मार्च में सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय की अपील स्वीकार की थी और केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

केजरीवाल द्वारा अपनी पुनर्विचार याचिका में उठाए गए प्रमुख तर्कों में से एक यह है कि मोदी की डिग्री ऑनलाइन उपलब्ध होने के गुजरात विश्वविद्यालय के दावे के विपरीत, ऐसी कोई डिग्री विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।

शुक्रवार की सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पर्सी कविना ने न्यायमूर्ति वैष्णव को बताया कि गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा संदर्भित दस्तावेज मोदी की बीए की डिग्री है जबकि यह मामला उनकी एमए की डिग्री के बारे में है।

कविना ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा उल्लिखित दस्तावेज “निश्चित रूप से कोई डिग्री नहीं है”।

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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केजरीवाल की इस पुनर्विचार याचिका का उद्देश्य “बिना किसी कारण के विवाद को जीवित रखना” है।

उन्होंने तर्क दिया कि यद्यपि विश्वविद्यालय को आरटीआई अधिनियम के तहत अपने छात्र की डिग्री साझा करने से छूट दी गई है, जब तक कि यह सार्वजनिक हित के अंतर्गत न आती हो, गुजरात विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जून, 2016 में अपनी वेबसाइट पर डिग्री अपलोड की थी और याचिकाकर्ता को भी इसके बारे में सूचित किया था।

मेहता ने तर्क दिया, “आदर्श रूप से, उन्हें उसके बाद अपनी याचिका वापस ले लेनी चाहिए थी। लेकिन, आगे बढ़ते रहे। उन्होंने सार्वजनिक चर्चा के स्तर को नीचे ला दिया।”

अप्रैल 2016 में, तत्कालीन सीआईसी आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी की डिग्री के बारे में केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था।