मुलायम ने प्रधानमंत्री पद पर अपने वाजिब दावे की तुलना में व्यापक हित को चुना था: येचुरी

मुलायम ने प्रधानमंत्री पद पर अपने वाजिब दावे की तुलना में व्यापक हित को चुना था: येचुरी

मुलायम ने प्रधानमंत्री पद पर अपने वाजिब दावे की तुलना में व्यापक हित को चुना था: येचुरी
Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 pm IST
Published Date: October 11, 2022 7:30 pm IST

नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा कि 1997 में जब कांग्रेस ने एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा की सरकार से समर्थन वापस लिया था तो उस वक्त मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री पद पर अपने वाजिब दावे की तुलना में व्यापक हित को चुना जिसका दीर्घकालीन असर हुआ।

येचुरी ने 1997 के उस दौर की मुलायम सिंह यादव से जुड़ी बातों और घटनाक्रमों को सामने रखा।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उस वक्त यह सवाल आया कि हमें चुनाव में जाना चाहिए या फिर वैकल्पिक सरकार बनानी चाहिए। पिछले चुनाव को एक साल भी नहीं हुए थे। वैकल्पिक सरकार ही एकमात्र रास्ता था। इसके अलावा कोई कदम उठाया जाता तो बहुत सारी समस्याएं हो सकती थीं।’’

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माकपा नेता के अनुसार, ‘‘हमने समाधान निकालने के लिए आंध्र भवन में पूरी रात बिता दी ताकि अगली सुबह शपथ ग्रहण समारोह हो सके। सुबह तक हम लोग चर्चा करते रहे।’’

उनका कहना था कि मुद्दा यह था कि अगर प्रधानमंत्री को बदला जाता है, तब कैबिनेट में बदलाव होगा तथा इसमें भी कई दलों के अपने-अपने दावे भी थे।

उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार मैंने सुझाव दिया कि हमें वही मंत्रिमंडल रखना चाहिए और सिर्फ प्रधानमंत्री बदला जाए। इस सुझाव को जब स्वीकार किया गया तब तक सुबह हो चुकी थी।’’

येचुरी ने बताया, ‘‘उस वक्त तनाव होना स्वाभाविक बात थी। मुलायम सिंह यादव वहां थे और वह दूसरे लोगों के विचारों को सुनना चाहते थे, हालांकि शायद उन्हें इसका अहसास था कि उन्हें प्रधानमंत्री बनना चाहिए। उन्होंने व्यापक हित को ध्यान में रखकर फैसला किया।’’

उनका कहना था कि मुलायम सिंह यादव के उस वक्त कद्दवार माकपा नेता हरकिशन सिंह सुरजीत के साथ करीबी रिश्ते थे और सुरजीत ने देवगौड़ा सरकार गिरने के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए यादव का समर्थन किया था।

देवगौड़ा के बाद इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने थे। मुलायम सिंह यादव दोनों की सरकारों में रक्षा मंत्री थे।

भाषा हक हक मनीषा

मनीषा


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