मेरे प्रतिद्वंद्वी बोल ही नहीं रहे, ‘स्वस्थ’ बहस तभी संभव जब दोनों उम्मीदवार बोलें: सुदर्शन रेड्डी
मेरे प्रतिद्वंद्वी बोल ही नहीं रहे, ‘स्वस्थ’ बहस तभी संभव जब दोनों उम्मीदवार बोलें: सुदर्शन रेड्डी
हैदराबाद, एक सितंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) गठबंधन के उम्मीदार बी सुदर्शन रेड्डी ने अपने प्रतिद्वंद्वी एवं सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन पर ‘‘नहीं बोलने’’ का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि अगर वह बोलते तो एक स्वस्थ बहस हो सकती थी।
सुदर्शन रेड्डी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह एक स्वस्थ बहस के पक्षधर हैं और उनका इरादा अपने प्रतिद्वंद्वी के बारे में अपमानजनक बातें कहने का नहीं है।
रेड्डी ने कहा, ‘‘मैं मीडिया से रोजाना बात कर रहा हूं। मैंने यह टिप्पणी यह सोचकर की कि अगर वह (राधाकृष्णन) भी बोलते तो एक स्वस्थ बातचीत होती।’’
इस संवाददाता सम्मेलन में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता भी शामिल हुए।
यह पूछे जाने पर कि वर्तमान परिस्थितियों में भारत के सामने सबसे बड़ी संवैधानिक चुनौती क्या है, रेड्डी ने कहा कि संविधान के सामने सबसे गंभीर चुनौती महान संवैधानिक संस्था – भारत के निर्वाचन आयोग – की कार्यप्रणाली में ‘‘खामी’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस देश में लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा… मेरा यही मानना है।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें आम आदमी पार्टी (आप) जैसे उन दलों का भी समर्थन प्राप्त है जो ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल नहीं हैं।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना संविधान के साथ उनकी लंबी यात्रा का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति पद का चुनाव भारत के हालिया इतिहास में अब तक लड़े गए सबसे निष्पक्ष और सभ्य चुनावों में से एक होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा देश बहुसंख्यकवादी नहीं है। हमारा समाज बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक है। संविधान किसी को भी शक्ति नहीं देता। संविधान का काम आपकी शक्ति को सीमित करना है।’’
भाषा सिम्मी अविनाश
अविनाश

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