बच्चों, किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किया जाएगा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान…
बच्चों, किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किया जाएगा : National Digital Library for children, adolescents to be set up
नयी दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को घोषणा की कि समग्र विकास के एक अंग के तौर पर बच्चों और किशोरों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों, भाषाओं, विषयों और स्तरों में गुणवत्तापूर्ण पुस्तकें विभिन्न उपकरणों के माध्यम से उपलब्ध कराने के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि राज्यों को उनके लिए पंचायत तथा वार्ड स्तरों पर प्रत्यक्ष पुस्तकालय स्थापित करने और राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय संसाधन तक पहुंच बनाने के लिए आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराने के वास्ते प्रोत्साहित किया जाएगा।
महामारी के समय बच्चों की पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अध्ययन की संस्कृति विकसित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी), चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट (सीबीटी) और अन्य स्रोतों को इन प्रत्यक्ष पुस्तकालयों में क्षेत्रीय भाषाओं एवं अंग्रेजी में पाठ्यक्रम से इतर पुस्तकें उपलब्ध कराने को प्रोत्साहित किया जाएगा। सीतारमण ने कहा, ‘‘साक्षरता के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी भी इस पहल से जुड़ी होगी। वित्तीय साक्षरता के लिए वित्तीय क्षेत्र के नियामकों और संगठनों को इन पुस्तकालयों में आयु के अनुसार यथोचित पाठ्य सामग्री प्रदान करने को प्रोत्साहित किया जाएगा।’’
शिक्षा क्षेत्र के हितधारकों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। एचएलएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स की प्रवक्ता तन्वी मिगलानी के अनुसार, राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना बच्चों तथा किशोरों के लिए अनेक विषयों में डिजिटल मंच पर प्रशिक्षण के संसाधन उपलब्ध कराने का एक बड़ा नीतिगत कदम होगा। एमआरजी स्कूल, रोहिणी (दिल्ली) की प्राचार्य अंशु मित्तल ने कहा कि डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना से छात्रों को महामारी में हुए पढ़ाई के नुकसान से उबरने में मदद मिलेगी। ‘द क्लास ऑफ वन’ की निदेशक दिव्या जैन ने भी इसी तरह के विचार रखे। ‘पैसिफिक वर्ल्ड स्कूल’ की प्राचार्य पूजा बोस ने कहा कि गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी से छात्रों को अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाएं सीखने के लिए प्रोत्साहित करने से संस्कृति और क्षेत्रीय अवधारणा को समझना उनके लिए ज्यादा आसान होगा।
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