नवलखा को हर हाल में 24 घंटे के अंदर घर में नजरबंद किया जाए: न्यायालय

नवलखा को हर हाल में 24 घंटे के अंदर घर में नजरबंद किया जाए: न्यायालय

नवलखा को हर हाल में 24 घंटे के अंदर घर में नजरबंद किया जाए: न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:26 pm IST
Published Date: November 18, 2022 8:46 pm IST

नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की आशंकाओं को खारिज करते हुए शुक्रवार को आदेश दिया कि माओवादियों और पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई से संपर्क रखने के आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को हर हाल में 24 घंटे के अंदर घर में नजरबंद किया जाए।

नवलखा एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के सिलसिले में नवी मुंबई की तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में बंद हैं।

न्यायमूर्ति के एम जोसफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने अभियोजन पक्ष और अदालत के बीच तीखी बहस के बाद आदेश सुनाया।

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हालांकि, पीठ ने आदेश दिया कि गौतम नवलखा को नजरबंदी के तहत जहां रखा जाएगा, उस इमारत में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किये जाएंगे।

पीठ ने कहा, ‘‘हमारे 10 नवंबर के आदेश को हर हाल में 24 घंटे के अंदर पूरा किया जाएगा।’’

एनआईए ने उच्चतम न्यायालय से बृहस्पतिवार को अनुरोध किया था कि नजरबंदी के आदेश को वापस लिया जाए क्योंकि नवलखा को कोई अतिरिक्त छूट की जरूरत नहीं है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा वाले एक मामले में आरोपित हैं।

एजेंसी ने याचिका में कहा, ‘‘जांच से साबित हुआ है कि याचिकाकर्ता ने कश्मीरी अलगाववादी आंदोलन और माओवादी आंदोलन से संबंधित विभिन्न विषयों पर विभिन्न मंचों एवं कार्यक्रमों में भाषण दिये और उनका समर्थन किया।’’

इसमें कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता से जब्त दस्तावेजों की छानबीन के दौरान सामने आया कि वे भाकपा (माओवादी) के रणनीतिक दस्तावेजों से जुड़े हैं, भाकपा (माओवादी) पार्टी के गठन से जुड़े हैं, भाकपा (माओवादी) पार्टी की महत्वपूर्ण प्रेस विज्ञप्तियां हैं, पार्टी के भूमिगत वरिष्ठ नेताओं के साथ महत्वपूर्ण गोपनीय संवाद हैं और इन सबसे उनकी भाकपा (माओवादी) पार्टी की गतिविधियों में संलिप्तता साबित होती है।’’

हालांकि, पीठ ने 70 वर्षीय नवलखा को घर में नजरबंद रखने के अपने 10 नवंबर के आदेश को कायम रखा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जिस घर में नवलखा रहेंगे उसमें रसोई के बाहर की ओर खुलने वाले दरवाजे को उसकी ग्रिल वाली खिड़कियों के साथ लॉक और सील किया जाना चाहिए जिसकी चाबियां एनआईए अपने पास रख सकती है। उसने कहा कि बाहर की ओर दक्षिणी दरवाजे पर एक और सीसीटीवी कैमरा लगाया जाए।

न्यायालय ने एनआईए को उसकी पसंद की जगह से सीसीटीवी कैमरे के फुटेज पर निगरानी रखने की अनुमति दी।

करीब आधे घंटे की सुनवाई में तीखी बहस देखी गयी। अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू से कहा, ‘‘अगर आप हमारे आदेश को वापस कराने के लिए कुछ कमियां निकालने की कोशिश कर रहे हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे।’’

एनआईए की ओर से राजू ने कहा कि वह खामियां निकालने की कोशिश नहीं कर रहे। उन्होंने दावा किया कि बल्कि नवलखा ने अदालतों से ‘अहम तथ्यों’ को छिपाया।

उन्होंने कहा, ‘‘इस आदमी (नवलखा) ने अदालत से महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है और इसलिए उनकी घर में नजरबंदी का विचार नहीं होना चाहिए।’’

पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि क्या राजू और एनआईए की ओर से ही पक्ष रख रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता कहना चाहते हैं कि राज्य और पुलिस की पूरी ताकत के साथ वे एक 70 साल के बीमार आदमी पर घर में नजरबंदी के दौरान नजर नहीं रख सकेंगे।

पीठ ने कहा, ‘‘उनसे और अधिक कट्टर अपराधी हैं।’’

जवाब में मेहता ने कहा, ‘‘मेरा मकसद अदालत को नाराज करना नहीं है। मुझे अपनी सोच पर खेद नहीं है बल्कि अदालत के प्रति खेद है। मेरी सोच है कि नक्सलवाद से देश बचकाने तरीके से नहीं निपट सकता।’’

पीठ ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल को उनकी सोच रखने का पूरा हक है लेकिन न्यायाधीश शांत हैं क्योंकि उन्हें ऐसे हालात में ऐसा रहने का प्रशिक्षण दिया गया है।

मेहता ने आरोप लगाया, ‘‘इस आदमी के आईएसआई के साथ और जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों के साथ संबंध रहे हैं।’’

तब न्यायमूर्ति जोसफ ने राजू से पूछा कि एजेंसी नजरबंदी में नवलखा की गतिविधियों को सीमित करने के लिए क्या अतिरिक्त शर्तें चाहती है।

पीठ ने कहा, ‘‘आप दरवाओं और खिड़कियों को सील कर दीजिए, और अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाइए और आप इसे जेल से बदतर बना दीजिए।’’

नवलखा की ओर से वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि दलीलों के दौरान उनके मुवक्किल की बहन के जसलोक अस्पताल से संपर्कों के बारे में अदालत के सामने सबकुछ बता दिया गया था और जांच एजेंसी को इसकी जानकारी है।

एजेंसी ने आरोप लगाया है कि नवलखा की जसलोक अस्पताल द्वारा जारी चिकित्सा रिपोर्ट में छेड़छाड़ की गयी। उसने कहा कि उन्हें जब भी जरूरत हुई तो उचित उपचार किया गया और तलोजा केंद्रीय जेल परिसर में उनकी हालत पर उचित तरीके से ध्यान रखा जा सकता है।

भाषा वैभव माधव

माधव


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