नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा)सेनाध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सैनिक भेजने वाले राष्ट्रों को एक ऐसा ढांचा तैयार करना होगा जो सशक्त और त्वरित प्रतिक्रिया वाला हो। उन्होंने कहा कि साथ ही संचालन में उन्नत प्रौद्योगिकियों को भी एकीकृत किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों को अनेक कारणों से अभूतपूर्व जटिलताओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें देश से इतर तत्वों का बढ़ता प्रभाव, ‘हाइब्रिड’ युद्ध और गलत सूचना का संकट शामिल है।
इस संदर्भ में, सेना प्रमुख ने प्रशिक्षण और संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र सहित सैन्य योगदान देने वाले देशों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण की वकालत की।
जनरल द्विवेदी संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सैनिक भेजने वाले देशों के सैन्य प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
भारतीय सेना द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में 32 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘आज शांति स्थापना को इतनी बड़ी और जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो पहले कभी नहीं देखी गईं। वैश्विक व्यवस्था लगभग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसमें 56 से अधिक सक्रिय संघर्ष और लगभग 90 राष्ट्रों की भागीदारी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का प्रसार, देश से इतर तत्वों का बढ़ता प्रभाव, हाइब्रिड युद्ध और गलत सूचना के प्रकोप ने संघर्ष की पारंपरिक सीमाओं को धुंधला कर दिया है।’’
जनरल द्विवेदी ने कहा कि बदलती भू-राजनीतिक स्थिति ‘‘आम सहमति की भावना को कमजोर करती हैं’’ जो संयुक्त राष्ट्र की एकजुट कार्रवाई का आधार है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी वास्तविकताएं अधिक लचीली, तीव्र और एकीकृत प्रतिक्रियाओं की मांग करती हैं, जो केवल शांति सैनिक ही साथ मिलकर काम करते हुए दे सकते हैं।’’
सेना प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भारत के महत्वपूर्ण योगदान को भी रेखांकित किया।
भाषा धीरज पवनेश
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