नई दिल्लीः ‘Needs Congress in India’ 23वें कारगिल विजय दिवस के मौके पर जम्मू में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल होने कश्मीर पहुंचे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक ऐसा बयान दिया, जिसके अब अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं। राजनाथ सिंह ने सेना के बलिदान को याद करते हुए कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) भारत का अभिन्न हिस्सा है, अभिन्न अंग है। लेकिन राजनाथ सिंह ने ऐसा क्या कहा जिसको लेकर मीडिया और भारतीय राजनीति में चर्चाएं तेज़ हो गई है।
‘Needs Congress in India’ कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री ने चीन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि 1962 में चीन ने लद्दाख में हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था और जब यह कब्जा हुआ था तब पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि मैं पंडित नेहरू के इरादों पर सवाल नहीं उठाऊंगा, उस दौरान पीएम रहते हुए उन्होंने जो फैसले लिए उनको लेकर नेहरू के इरादे अच्छे हो सकते हैं। लेकिन देश की नीतियों पर यह लागू नहीं होता है। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि कई लोग जो है जवाहर लाल नेहरू की आलोचना करते हैं। वैसे तो मैं भी एक विशेष राजनैतिक दल से आता हूं, लेकिन मैं भारत के किसी भी प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं करना चाहता। साथ ही मैं किसी भी प्रधानमंत्री की नीयत पर सवालिया निशान नहीं लगाना चाहता। यानी की किसी भी प्रधानमंत्री की नियत पर रक्षा मंत्री सवाल नहीं उठाना चाहते । राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी की नीयत में खोट नहीं हो सकती है।
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इस कार्यक्रम में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लेकर राजनाथ सिंह ने जो बयान दिया उस पर बहस छिड़ी हुई है। आपको बता दें भाजपा का जो सपना है वह कांग्रेस मुक्त भारत का है और भाजपा अपने इस अभियान में काफी आगे भी बढ़ती भी दिख रही है। मगर उसी कांग्रेस के लिए बीजेपी के जो दिग्गज नेता है, यानी की अभी बात सिर्फ़ राजनाथ सिंह की नहीं हो रही है, इसके अलावा भी ऐसे बयान है जो हम आपको आगे बताएंगे। फिलहाल भाजपा के दिग्गज नेताओं के बयानों से लगता है कि उनका भी दिल कांग्रेस के लिए पसीज रहा है। अब यहां पर आम जनता या फ़िर जो राजनीतिक विश्लेषक हैं वह असमंजस में पड़े हुए हैं, कि एक ओर बीजेपी कांग्रेस और नेहरू की नीतियों की आलोचना करती है तो वहीं दूसरी ओर बड़े मंत्रियों के ऐसे बयान क्यों?
भारतीय जनता पार्टी इस वक्त सत्ताधारी पार्टी है और उनके सामने विपक्ष के रूप में कांग्रेस मुख्य भूमिका में हैं। वैसे तो भाजपा के निशाने पर कांग्रेस के कई नेता हमेशा रहते हैं लेकिन भाजपा को पंडित नेहरू से गहरा लगाव प्रतीत होता है, लगाव यानी उनके पक्ष में नहीं बल्कि उन पर तंज कसने उनके कामों के विश्लेषण करने में लगाव।भाजपा यहां तक नेहरू का विरोध करती आई है कि एक बार कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह तक कह दिया था कि ‘ भाजपा नेताओ को अगर खांसी भी हो जाए तो इसके ज़िम्मेदार नेहरू होंगे’। आपको बता दें यह बयान मनीष तिवारी ने ग्रह मंत्री अमित शाह के एक बयान के खिलाफ़ दिया था, दरअसल अमित शाह ने पंडित नेहरू को कश्मीर समस्या का जनक बताया था, उन्होंने यह भी कहा था कि अगर पंडित नेहरू ने 1947 में युद्धविराम का ऐलान नहीं किया होता तो POK भारत का ही हिस्सा होता।
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जैसा कि हमने आपको बताया कि राजनाथ सिंह अकेले नहीं है जिन्होंने कांग्रेस नेता को लेकर सॉफ्ट बयान दिया है, इससे कुछ ही दिनों पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था । गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि लोकतंत्र के लिए कांग्रेस का मजबूत होना जरूरी है। लगातार चुनावों में हारने वाली कांग्रेस फिर मजबूत बने और पार्टी के नेता निराश होकर पार्टी ना छोड़ें। यही मेरी इच्छा है। कांग्रेस पार्टी कमजोर हो रही है, इसीलिए देश की मुख्य विपक्षी पार्टी की जगह लेने के लिए क्षेत्रीय पार्टियां आगे आ रही हैं। देश के लिए यह शुभ लक्षण नहीं हैं।
साथ ही उन्होंने कहा था कि जिनका कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास है, उनका विश्वास डगमगाना नहीं चाहिए। कार्यकर्ताओं और नेताओं को पार्टी के साथ पूरी मजबूती से खड़े रहना चाहिए। आगे भाजपा नेता ने कहा कि हार से हताश होने की बजाए काम करते रहें। आज अगर हार हो रही है तभी कल उनकी जीत हो सकती ह। और उसी वक्त उन्होंने बीजेपी का वो दौर याद किया था जब संसद में सिर्फ दो सीटें हुआ करती थीं। फिर उन्होंने कहा कि, ‘कार्यकर्ताओं की मेहनत से समय बदला और अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में हमें अपना प्रधानमंत्री मिला। इसलिए ऐसी हालत में निराश होकर विचारधारा ना छोड़ें। कांग्रेस को लेकर जहां एक तरफ़ भाजपा का कट्टर विरोधी चेहरा दिखता है तो वहीं, भाजपा के दिग्गज नेताओं के यह सॉफ्ट बयान राजनीति को अलग मोड़ पर ले जाते हैं।
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