न मंत्रोच्चार न सात फेरे...​संविधान को साक्षी मानकर विधायक ने कराई जोड़े की शादी, लोग कर रहे वाह-वाह | Neither chanting nor seven rounds ... considering the constitution as a witness, the MLA got the couple married, people are wow

न मंत्रोच्चार न सात फेरे…​संविधान को साक्षी मानकर विधायक ने कराई जोड़े की शादी, लोग कर रहे वाह-वाह

न मंत्रोच्चार न सात फेरे...​संविधान को साक्षी मानकर विधायक ने कराई जोड़े की शादी, लोग कर रहे वाह-वाह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : June 20, 2021/7:06 am IST

पटना। हिंदू धर्म की शादियों में ज्यादातर शादियां मंत्रोच्चार के साथ और अग्नि को साक्षी मानकर और अग्नि के फेरे लेकर की जाती हैं, लेकिन बिहार में एक ऐसी शादी चर्चाओं में है जिसमें मंत्रोच्चारण के बदले संविधान को साक्षी मानकर दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे से विवाह बंधन में बंधे हैं। ये शादी पटना से लगे दानापुर के पुनपुन में हुई जहां भारतीय संविधान को साक्षी मानकर बौद्ध परंपरा से दो दिव्यांगों का विवाह संपन्न कराया गया।

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यहां पुनपुन प्रखंड के केवड़ा पंचायत के मुखिया सतेन्द्र दास की भतीजी कुमकुम कुमारी की शादी हुई है, इस शादी में पंडित को शामिल नहीं किया गया बल्कि फुलवारीशरीफ विधायक ने संविधान की एक एक कॉपी दूल्हा और दुल्हन के हाथों में दी और फिर शपथ दिलाते हुए रस्में पूरी कराईं। दिव्यांग दुल्हन कुमकुम कुमारी और दिव्यांग रंजीत कुमार की शादी गौतम बुद्ध, बाबा साहेब अंबेडकर और शिक्षा की प्रथम देवी मानी जानी वाली सावित्री बाई फुले को भगवान और भारतीय संविधान को साक्षी मानकर बौद्ध परंपरा से शादी की सम्पन की गई।

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यह शादी पुनपुन के धनकी पर गांव में संपन्न हुई, इस अवसर पर वर-वधू ने अपने परिवार वालों और अतिथियों सहित गणमान्य लोगों के समक्ष एक दूसरे को भारतीय संविधान किस साक्षी मानकर पति-पत्नी अपनाया। मुखिया की भतीजी कुमकुम कुमारी की शादी पालीगंज के दरियापुर गांव निवासी रामजीवन राम के पुत्र रंजीत कुमार के साथ हुई। इस अनोखी शादी में बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, फुलवारीशरीफ के विधायक गोपाल रविदास, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता राजकुमार समेत गणमान्य जन और ग्रामीण मौजूद रहे।

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