एनईपी-2020: भारत की शिक्षा प्रणाली को औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करने का पहला प्रयास : आर्लेकर

एनईपी-2020: भारत की शिक्षा प्रणाली को औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करने का पहला प्रयास : आर्लेकर

एनईपी-2020: भारत की शिक्षा प्रणाली को औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करने का पहला प्रयास : आर्लेकर
Modified Date: July 27, 2025 / 09:58 pm IST
Published Date: July 27, 2025 9:58 pm IST

कोच्चि, 27 जुलाई (भाषा) केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 देश की शिक्षा प्रणाली को औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करने का पहला गंभीर प्रयास है।

राज्यपाल यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन ‘ज्ञान सभा’ को संबोधित कर रहे थे।

आर्लेकर ने कहा कि देश अब तक एक ‘‘औपनिवेशिक विचार’’ के साथ आगे बढ़ रहा था।

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सभी से शिक्षा क्षेत्र में बदलाव का हिस्सा बनने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पहले की शिक्षा प्रणाली ने हमारी पूरी सोच बदल दी थी। हमें पता ही नहीं चला कि यह कब हमारे पारिवारिक जीवन में प्रवेश कर गई। अब हम उस औपनिवेशिक प्रभाव से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं।’’

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आर्लेकर ने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई शिक्षा नीति ‘‘इतने वर्षों से हमें जो पढ़ाया गया है, उससे अलग है।’’

उन्होंने कहा कि भारत आजादी मिलने के समय ‘विश्व गुरु’ था और आज भी है। राज्यपाल ने कहा, ‘‘लेकिन हम उस समय इसे स्थापित नहीं कर पाए थे। जब हम आजाद हुए, तब यह सिर्फ राजनीतिक आजादी थी।’’

उन्होंने कहा कि अगर नई शिक्षा नीति को स्वीकार कर लिया जाए तो भारत फिर से ‘विश्व गुरु’ बन सकता है।

राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत केवल एक आर्थिक अवधारणा नहीं है, बल्कि ‘‘समाज का समग्र विकास है।’’

भाषा शफीक नरेश

नरेश


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