नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि नया संसद भवन राजनीतिक सहमति कायम करने में मदद करेगा और गुलामी की मानसिकता से आजादी का प्रतीक बनेगा।
नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर अपने संदेश में उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि यह भारत के लोगों की आकांक्षाओं का समाधान ढूंढ़ेगा।
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में आयोजित एक कार्यक्रम में धनखड़ का संदेश पढ़कर सुनाया।
धनखड़ ने कहा कि नया भवन भारत की प्रगति का गवाह बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार सुबह यहां नए संसद भवन का उद्घाटन किया।
उपराष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि इस अमृत काल में बना नया संसद भवन भविष्य में भी हमारी तीव्र प्रगति का साक्षी बनेगा। आत्मनिर्भर भारत बनाने से लेकर लोगों की सभी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और देशवासियों को सशक्त बनाने से लेकर गरीबी दूर करने तक, यह गौरवशाली इमारत आने वाले दशकों में कई ऐतिहासिक पलों का अध्याय लिखेगी।’’
धनखड़ ने कहा कि कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियां भवन निर्माण में शामिल मेहनती एवं प्रतिबद्ध कर्मियों के अटूट संकल्प को रोकने में विफल रहीं।
उन्होंने संसद को ‘लोकतंत्र का मंदिर’ बताते हुए कहा कि यह वर्तमान और भावी पीढ़ियों की आकांक्षाओं की पूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा सनातन परंपराओं और महान लोकतांत्रिक मानकों के संरक्षक के रूप में भी कार्य करती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि नया संसद भवन यह सुनिश्चित करेगा कि देश के हाशिए पर पड़े वर्गों को विशेष वरीयता देते हुए नीतियों और विधानों के माध्यम से सभी नागरिकों की जरूरतों एवं आकांक्षाओं को पूरा किया जाए। इस तरह भारत की बुनियादी प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।’’
धनखड़ ने कहा कि उन्हें यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि देश की आजादी के बाद जन्म लेने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस शानदार इमारत को राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं।
भाषा
शफीक वैभव
वैभव
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