नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मेरठ नगर निगम को काली नदी के तट पर डाला गया कूड़ा हटाने का निर्देश दिया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने नगर निकाय को अपनी यह गलती सुधारने के लिये कदम उठाने को कहा और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस सिलसिले में उसके काम की निगरानी करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति एसवीएस राठौड़ की अध्यक्षता वाले इस अधिकरण द्वारा 16 मार्च 2020 को जारी किये गये आदेश के आलोक में गठित निरीक्षण समिति अगली तारीख से पहले ई मेल के जरिये एक स्वतंत्र रिपोर्ट सौंपे। ’’
न्यायमूर्ति राठौड़, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं।
याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ के मार्फत अधिकरण के समक्ष तस्वीरें पेश कर कहा कि कूड़ा अब भी वहां पड़ा हुआ है और कोई उपयुक्त कदम नहीं उठाया गया है।
इससे पहले, अधिकरण ने शहर में ठोस कूड़ा के निपटारे में नाकामी को लेकर मेरठ निगम की आलोचना करते हुए कहा था कि वह अपने सांविधिक कर्तव्यों का पालन करने में नाकाम रहा है और पर्यावरण एवं जन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के लिये जिम्मेदार है।
एनजीटी को बताया गया कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर निगम को पर्यावरण को पहुंचे नुकसान को लेकर 24 लाख रुपया मुआवजा देने को कहा है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम मेरठ नगर निगम को कानून का अनुपालन करते हुए इस सिलसिले में उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश देते हैं, इसमें नाकाम रहने पर नगर निगम आयुक्त, मेरठ के अभियोजन और कैद करने का निर्देश देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा। ’’
अधिकरण मेरठ शहर के निवासी नवीन कुमार एवं अन्य की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया है कि गांवरी गांव में काली नदी के तट पर अवैज्ञानिक तरीके से ठोस कूड़ा डाल दिया गया है।
भाषा
सुभाष शाहिद
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