नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त निगरानी समिति, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को राष्ट्रीय राजधानी में रंगाई के अवैध कारखानों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
एनजीटी ने सीपीसीबी और डीपीसीसी को आवेदन में नामित इकाइयों के संबंध में संयुक्त रूप से अनुपालन कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
अधिकरण उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी के बिंदापुर, मटियाला, रणहौला, ख्याला, मीठापुर, बदरपुर, मुकुंदपुर और किरार इलाकों में बिना अनुमति के रंगाई कारखाने चल रहे हैं।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की पीठ ने कहा कि उच्चतम नयायालय द्वारा नियुक्त निगरानी समिति सीपीसीबी और डीपीसीसी सहित अन्य संबंधित प्राधिकरणों के साथ समन्वय कर मामले को देखें।
एनजीटी ने मामले की अगली सुनवाई चार अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध की।
वर्ष 2004 में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के मास्टर प्लान का उल्लंघन कर चल रही औद्योगिक गतिविधियों को स्थानांतरित करने या बंद करने का निर्देश दिया था और निगरानी तंत्र भी निर्धारित किया था।
अवैध औद्योगिक गतिविधियों को रोकने के लिए शीर्ष अदालत ने एक निगरानी समिति का गठन किया था, जिसमें दिल्ली के मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त, नगर निगम आयुक्त और दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष शामिल हैं।
एनजीटी के समक्ष दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि ऐसे 500 से अधिक कारखाने हैं, जो अवैध रूप से भूजल निकालने के अलावा खुले इलाकों, नजफगढ़ नाले या स्वरूप नगर नाले में दूषित पानी छोड़ रहे हैं। यह भी आरोप लगाया गया है कि अपशिष्टों के उपचार के लिए कोई सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र नहीं है।
भाषा शफीक नरेश
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