पुनरीक्षण के नाम एनआरसी नहीं हो सकती, निर्वाचन आयोग ‘मुद्दा भटकाओ योजना’ में जुटा: कन्हैया कुमार

पुनरीक्षण के नाम एनआरसी नहीं हो सकती, निर्वाचन आयोग ‘मुद्दा भटकाओ योजना’ में जुटा: कन्हैया कुमार

पुनरीक्षण के नाम एनआरसी नहीं हो सकती, निर्वाचन आयोग ‘मुद्दा भटकाओ योजना’ में जुटा: कन्हैया कुमार
Modified Date: July 15, 2025 / 06:29 pm IST
Published Date: July 15, 2025 6:29 pm IST

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने मंगलवार को कहा कि नागरिकता प्रमाणित करना निर्वाचन आयोग का काम नहीं है तथा विशेष गहन पुनरीक्षण के नाम पर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) शुरू नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने यह दावा भी किया कि अब आयोग अपने ही तर्कों में फंस गया है और ‘मुद्दा भटकाओ योजना’ के तहत नेपाल, म्यांमा और बांग्लादेश के लोगों के बिहार में होने की कहानी गढ़ रहा है।

कुमार ने यहां कांग्रेस मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि 2003 की पुनरीक्षण की प्रक्रिया गलत थी, तो उसके बाद के सभी चुनाव गलत हैं…क्या नरेन्द्र मोदी जी को म्यांमा और नेपाल के लोगों ने वोट दिया…अगर ऐसा है तो फिर बिहार के सभी 40 सांसदों को अयोग्य घोषित करिए और फिर से चुनाव करवाइए।’’

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कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘क्या मतदाता सूची किसी राजनीतिक दल ने बनाया या निर्वाचन आयोग ने बनाया। इसका यह मतलब है कि निर्वाचन आयोग ने माना कि उसने अशुद्ध मतदाता सूची बनाई। बिहार में गंगा बहती है, एक बार मतदाता सूची को उसमें डुबकी लगवा दीजिए, शुद्ध हो जाएगी। यह (आयोग का तर्क) कोई बात होती है। आप अपनी ही प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि अब स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी जो कह रहे हैं वो सही है, इसलिए आयोग को महाराष्ट्र का डेटा उपलब्ध कराना चाहिए।

उन्होंने दावा किया कि आयोग ने अपनी गलती मान ली है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्वाचन आयोग का काम मतदाता सूची तैयार करने और मतदान तक सीमित है तथा उसका काम नागरिकता प्रमाणित करना नहीं है।

कुमार ने कहा, ‘‘मतदाता सूची के पुनरीक्षण के नाम पर एनआरसी नहीं शुरू करना चाहिए, क्योंकि यह काम गृह मंत्रालय का है।’’

उन्होंने दावा किया कि जब निर्वाचन आयोग अपने ही तर्को में फंस गया, तो खबर गढ़ी गई कि नेपाल, म्यामां और बांग्लादेश के लोग आ गए हैं।

कुमार ने यह भी कहा, ‘‘सरकार द्वारा जारी कोई भी कागज स्वीकार किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में कितने लोगों का जन्म प्रमाणपत्र होगा। बहुत सारे लोगों के पास दो-दो जन्मतिथि होती है, एक असली और दूसरी कागज वाली। मेरी ही दो जन्मतिथि है।’’

कुमार के अनुसार, पुनरीक्षण से किसी को समस्या नहीं है, लेकिन यह दो-तीन महीने में नहीं, बल्कि एक, दो या तीन साल का समय लेकर करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार के लोगों से कहा जा रहा है कि आप साबित करिए कि बिहारी हैं। बिहार के लोग इस बात पर बता देंगे कि हम पक्के बिहारी हैं।’’

भाषा हक हक दिलीप

दिलीप


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