एक आदिल हत्यारा, तो दूसरे आदिल ने लोगों को बचाने के लिए अपनी जान दी |

एक आदिल हत्यारा, तो दूसरे आदिल ने लोगों को बचाने के लिए अपनी जान दी

एक आदिल हत्यारा, तो दूसरे आदिल ने लोगों को बचाने के लिए अपनी जान दी

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Modified Date: April 25, 2025 / 09:19 PM IST
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Published Date: April 25, 2025 9:19 pm IST

श्रीनगर, 25 अप्रैल (भाषा) यह कहानी एक ही नाम के दो व्यक्तियों की है और दोनों का नाम आदिल है। उनमें से एक वो आदिल हैं जिन्होंने पर्यटकों को बचाने की कोशिश करते हुए अपने सीने पर गोलियां खायी जबकि दूसरे आदिल ने घाटी की सुंदरता निहारने आए मासूमों को गोलियां से छलनी कर दिया।

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों की गोलीबारी में कम से कम 26 लोग मारे गए। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया और दुनिया भर में इसकी निंदा की गई है।

सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि निहत्थे लोगों को निशाना बनाने वाला आदिल थोकर उर्फ ​​आदिल गुरी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सदस्य है जबकि इन आतंकवादियों से पर्यटकों को बचाने वाले बहादुर शख्स का नाम सैयद आदिल हुसैन शाह है।

सैयद आदिल हुसैन शाह अपनी आजीविका के लिए का काम करते थे।

कश्मीर के विभिन्न पहलुओं को समेटे इन दोनों व्यक्तियों के जीवन में बहुत भिन्नता है।

अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा के गुरी गांव का निवासी आतंकवादी आदिल थोकर की उम्र 20 से 30 के बीच है जबकि वीरता का परिचय देने वाले आदिल हुसैन की उम्र लगभग 30 साल थी।

पहलगाम आतंकवादी हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) सदस्य आदिल का जम्मू कश्मीर स्थित घर विस्फोट में नष्ट हो गया।

यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि विस्फोट किस कारण से हुआ, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि घर में विस्फोटक छिपा कर रखे गए और वहां तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।

आतंकवादी आदिल 2018 में वैध यात्रा दस्तावेज (वीटीडी) पर पाकिस्तान गया था और उसके बाद गायब हो गया था। जब वह पाकिस्तान गया था तब उसकी उम्र किशोरावस्था से थोड़ी ही ज्यादा थी। इसके बाद जल्द ही ऐसी खबरें आने लगीं कि वह प्रतिबंधित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया है।

अधिकारियों ने बताया कि आदिल 2024 में नियंत्रण रेखा के जरिए घुसपैठ कर भारत आया और जम्मू क्षेत्र के डोडा और किश्तवाड़ इलाकों में सक्रिय था।

पहलगाम हमले की जांच से पता चला कि आतंकवादियों की संख्या पांच से सात तक हो सकती है। उन्हें यहां के कम से कम दो ऐसे स्थानीय आतंकवादियों ने मदद की है, जिन्होंने पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया है।

फरार आदिल भी उनमें से एक है। इस हमले में मारे गए एक व्यक्ति की पत्नी ने आदिल की पहचान की है।

प्रत्यक्षदर्शियों को कम से कम छह से सात तस्वीरें दिखाई गई थीं। उनमें से एक ने आदिल की पहचान की और बताया कि उसने मासूम लोगों पर गोलियां चलाई थी। इसके बाद आतंकवादी पीर पंजाल के घने जंगलों में भाग गए।

एक आदिल हत्यारा है, वहीं दूसरा आदिल नायक है जिसे हजारों लोग प्यार कर रहे हैं और उसकी मौत से गमगीन हैं।

वह अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र सदस्य थे। वह पहलगाम से पर्यटकों को अपने खच्चर पर छह किलोमीटर दूर घास के हरे-भरे मैदान तक ले जाकर अपनी आजीविका चलाते थे। इसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है।

आदिल और उनके परिवार के लिए वह दिन भी अन्य दिन की तरह ही शुरू हुआ था।

आदिल के भाई सैयद नौशाद ने कहा, ‘‘जब आतंकवादियों ने मंगलवार को पर्यटकों पर हमला किया था तो मेरे भाई ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी। इस हमले में एक पर्यटक के पिता मारे गए थे, उस पर्यटक ने मुझे एसएमएचएस अस्पताल में मेरे भाई के वीरतापूर्ण कार्य के बारे में बताया।’’

नौशाद ने बताया कि हत्यारों ने आदिल की छाती में तीन गोलियां मारी थीं।

निडर आदिल की मृत्यु से दुख के बीच सभी को उन पर बहुत गर्व है। नौशाद ने कहा कि उनके भाई का बलिदान हमारे परिवार और दोस्तों के लिए गर्व का क्षण है।

आदिल की बहन अस्मा ने बताया कि उन्हें उस दिन कुछ डर सा महसूस हुआ था।

आस्मा ने कहा, ‘‘सुबह मैंने उससे कहा कि वह आज काम पर न जाए क्योंकि उस दिन मुझे पहले से आभास हो रहा था कि कुछ बुरा होने वाला है। लेकिन उसने मेरी बात नहीं सुनी और चला गया।’’

उन्होंने अपने भाई को एक बहादुर व्यक्ति बताया जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था।

आदिल के पिता सैयद हैदर शाह ने कहा कि उनके सभी बच्चों में आदिल सबसे ज्यादा दयालु था।

उन्होंने कहा, ‘‘इस गांव के कई लड़के काम की तलाश में पहलगाम जाते हैं, लेकिन कौन जानता था कि ऐसा होने वाला है। आतंकवादियों ने मेरे बेटे को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि उसने उनका सामना किया और आतंकवादियों से पर्यटकों पर हमला न करने के लिए कहा।’’

उन्होंने बताया कि बैसरन में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं थी।

आदिल के पिता ने बताया, ‘‘जब वह शाम को वापस नहीं आया तो हमने उसे फोन करना शुरू किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया।’’

इस दुख की घड़ी में आदिल का परिवार अकेला नहीं है। पहलगाम में आदिल के पैतृक गांव हपतनार्द में सैकड़ों लोग उनके जनाजे में शामिल हुए। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इस दौरान मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैंने आज पहलगाम जाकर निडर शाह के लिए फातिहा (दफ़न के बाद की प्रार्थना) पढ़ी। उन्होंने पर्यटकों को बचाने के लिए साहस दिखाते हुए आतंकवादियों से हथियार छीनने की कोशिश की थी, लेकिन वह उनके (आतंकवादियों) हमले में मारे गए…’’

उन्होंने कहा, ‘‘शोकाकुल परिवार से मुलाकात की और उन्हें पूर्ण सहायता का आश्वासन दिया। आदिल (शाह) परिवार में एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनकी असाधारण बहादुरी और बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा।’’

जनाजे की नमाज पढ़ाने वाले गुलाम हसन ने आदिल के बलिदान की सराहना की और उनके साहस के लिए सलाम किया। उन्होंने कहा कि अल्लाह इन कर्मों के लिए आदिल को इनाम से नवाजे।’’

गुलाम हसन ने कहा, ‘‘हमें हमेशा दूसरों की खातिर जान देने के लिए तैयार रहना चाहिए, चाहे वह सिख हो, पंडित हो या मुसलमान हो। हमारा धर्म हमें यही सिखाता है।’’

भाषा प्रीति अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)