अब ऑनलाइन होगी कॉलेज की पढ़ाई, 12वीं तक के सभी स्कूल बंद, सरकारी दफ्तरों के टाइमिंग बदली, जानिए क्यों लिया गया ये फैसला
अब ऑनलाइन होगी कॉलेज की पढ़ाई, 12वीं तक के सभी स्कूल बंद, Order to Close All Colleges After Schools Due to Air Pollution
Order to Close All Colleges After Schools
नई दिल्लीः Order to Close All Colleges After Schools देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। एयर नियंत्रण उपायों के बावजूद मंगलवार सुबह AQI का फीगर 500 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इसके अलावा कई अन्य इलाके भी अब गैस चेंबर के रूप में तब्दील हो चुके हैं। इसी बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू ने ऑनलाइन क्लासेज का ऐलान किया है। 12वीं तक के स्कूलों को पहले ही बंद कर दिए गए हैं। वहीं सरकारी दफ्तरों के टाइमिंग में बदलाव किया गया है। प्रदूषण के चलते दिल्ली के कई इलाकों में धुंध छाई हुई है। विजिबिलिटी घटने से कई फ्लाइट्स प्रभावित हुई है।
Order to Close All Colleges After Schools बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने 18 नवंबर से दिल्ली-NCR में बदला हुआ ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का चौथा फेज लागू कर दिया है। साथ ही बच्चों, बुजुर्गों, सांस और दिल के मरीजों, पुरानी बीमारियों से पीड़ितों को घर के अंदर रहने की सलाह दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्टाफ के लिए मास्क पहनना भी अनिवार्य कर दिया है। सोमवार को दिल्ली-NCR रीजन में सरकारों को निर्देश दिया कि प्रदूषण की गंभीरता देखते हुए स्कूल बंद किए जाएं। AQI का लेवल कम करने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) स्टेज 3 और स्टेज 4 के सभी जरूरी प्रतिबंध लागू किए जाएं। साथ ही हिदायत दी- कोर्ट की इजाजत के बगैर GRAP स्टेज 4 के प्रतिबंध नहीं हटेंगे। भले ही AQI 300 से नीचे क्यों ना आ जाए।
दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव किया गया है। अब एमसीडी के दफ्तरों में सुबह 8:30 से लेकर शाम 5:00 बजे तक काम होगा। वहीं दिल्ली सरकार के दफ्तर सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम के 6:30 तक काम करेंगे। बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण के मद्देनजर दफ्तरों को अलग-अलग समय खोलने और बंद करने का फैसला लिया गया है।
AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों?
AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।

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