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नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि आज और आगामी दिनों में मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भारत की विविधता में व्याप्त एकता की भावना के सूचक हैं। मोदी ने लोगों से इस भावना को मजबूत करने का आग्रह किया।
उन्होंने ‘मन की बात’ मासिक कार्यक्रम में कहा कि रविवार को विभिन्न राज्य अपना पारंपरिक नववर्ष मना रहे हैं और आगामी दिनों में कई अन्य राज्य भी इसे मनाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘आज कर्नाटक में, आंध्र प्रदेश, तेलंगना में उगादी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज ही महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा मनाया जा रहा है। विविधता भरे हमारे देश में, अलग-अलग राज्यों में अगले कुछ दिन में असम में ‘रोंगाली बिहू’, बंगाल में ‘पोइला बोइशाख’, कश्मीर में ‘नवरेह’ का उत्सव मनाया जाएगा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसी तरह, 13 से 15 अप्रैल के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में त्योहारों की जबरदस्त धूम दिखेगी। इसे लेकर भी उत्साह का माहौल है और ईद का त्योहार तो आ ही रहा है। यानी ये पूरा महीना त्योहारों का है, पर्वों का है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं देश के लोगों को इन त्योहारों की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। हमारे ये त्योहार भले ही अलग-अलग क्षेत्रों में हो लेकिन ये दिखाते हैं कि भारत की विविधता में भी कैसे एकता पिरोई हुई है। इस एकता की भावना को हमें निरंतर मजबूत करते चलना है।’’
मोदी ने कहा कि विद्यालयों में कुछ ही सप्ताह बाद गर्मी की छुट्टियां भी शुरू होने वाली हैं और गर्मी के लंबे दिन छात्रों के लिए नए शौक विकसित करने एवं अपने कौशल को निखारने का समय होते हैं।
प्रधानमंत्री ने छात्रों के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित करने वालों से ‘माईहॉलिडेज’’ हैशटैग का उपयोग करने तथा छात्रों एवं अभिभावकों से ‘‘हॉलिडेमेमोरीज’’ हैशटैग के साथ अपने अनुभव साझा करने का आग्रह किया।
मोदी ने अपने संबोधन में विभिन्न तरीकों से जल संरक्षण कर ‘कैच द रेन’ अभियान को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह के कदमों से पिछले सात से आठ साल में 11 अरब घन मीटर से अधिक पानी बचाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘बारिश की बूंदों को संरक्षित करके हम बहुत सारा पानी बर्बाद होने से बचा सकते हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों में इस अभियान के तहत देश के कई हिस्सों में जल संरक्षण के अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। मैं आपको एक दिलचस्प आंकड़ा देता हूं। पिछले 7-8 साल में नए बने जलाशय और अन्य जल संचय ढांचों से 11 अरब घन मीटर से भी ज्यादा पानी का संरक्षण हुआ है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अब आप सोचेंगे कि 11 अरब घन मीटर पानी कितना पानी होता है? भाखड़ा नांगल बांध में जो पानी जमा होता है, उसकी तस्वीरें तो आपने जरूर देखी होगी। ये पानी गोविंद सागर झील का निर्माण करता है। इस झील की लंबाई ही 90 किलोमीटर से ज्यादा है। इस झील में भी 9-10 अरब घन मीटर से ज्यादा पानी संरक्षित नहीं हो सकता है।’’
उन्होंने कहा कि देशवासियों ने अपने छोटे-छोटे प्रयास से देश के अलग–अलग हिस्सों में 11 अरब घन मीटर पानी के संरक्षण का इंतजाम कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने लोगों से सामुदायिक स्तर पर ऐसे प्रयासों में शामिल होने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि फिटनेस के साथ-साथ गिनती रखना भी एक आदत बनती जा रही है। उन्होंने लोगों का उदाहरण दिया कि वे एक दिन में चले कदमों की संख्या, एक दिन में खाई गई कैलोरी की संख्या और जलाई गई कैलोरी की संख्या का हिसाब रखते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की उलटी गिनती शुरू हो गई है। योग दिवस में अब 100 दिन से भी कम समय रह गया है। अगर आपने अपने जीवन में अब तक योग को शामिल नहीं किया है तो अब जरूर कर लीजिए अभी देर नहीं हुई है। 10 साल पहले 21 जून 2015 को पहला अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था।’’
पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 10 वर्ष पहले 21 जून 2015 को मनाये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब यह दिन योग के एक भव्य महोत्सव का रूप ले चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मानवता को भारत की ओर से यह एक ऐसा अनमोल उपहार है, जो भविष्य की पीढ़ी के बहुत काम आने वाला है। साल 2025 के योग दिवस की थीम रखी गई है, ‘एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग’। यानि हम योग के जरिए पूरे विश्व को स्वस्थ बनाने की कामना करते हैं।’’
मोदी ने कहा कि यह सभी लोगों के लिए गर्व की बात है कि आज पूरी दुनिया में योग और पारंपरिक चिकित्सा के प्रति जिज्ञासा बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में युवा स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन माध्यम के रूप में योग और आयुर्वेद को अपना रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अब जैसे दक्षिण अमेरिकी देश चिली है। वहां आयुर्वेद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। पिछले साल मैं ब्राजील की यात्रा के दौरान चिली के राष्ट्रपति से मिला था। आयुर्वेद की इस लोकप्रियता को लेकर हमारे बीच काफी चर्चा हुई थी।’’
मोदी ने कहा, ‘‘मुझे ‘सोमोस इंडिया’ नाम की टीम के बारे में पता चला है। स्पेनिश में इसका अर्थ है- ‘वी आर इंडिया’. यह टीम करीब एक दशक से योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने में जुटी है। उनका ध्यान उपचार के साथ-साथ शैक्षणिक कार्यक्रमों पर भी है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वे आयुर्वेद और योग से संबंधित जानकारियों को स्पेनिश भाषा में अनुवाद भी करवा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि लगभग 200 साल पहले भारत से कई लोग गिरमिटिया मजदूर के रूप में मॉरीशस गए थे और किसी को नहीं पता था कि आगे क्या होगा, लेकिन समय बीतने के साथ वे वहीं बस गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने मॉरीशस में अपने लिए एक जगह बनाई और अपनी विरासत को संरक्षित किया तथा अपनी जड़ों से जुड़े रहे।
मोदी ने कहा, ‘‘मॉरीशस ऐसा अकेला उदाहरण नहीं है। पिछले साल जब मैं गुयाना गया था तो वहां की चौताल प्रस्तुति ने मुझे बहुत प्रभावित किया था।’’
मोदी ने कहा कि कुछ फूल घर को सुंदर बनाते हैं, कुछ इत्र में घुलकर हर तरफ खुशबू फैलाते हैं। उन्होंने फूलों की एक यात्रा के बारे में भी बात की।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आपने महुआ के फूलों के बारे में जरूर सुना होगा। हमारे गांवों और खासकर के आदिवासी समुदाय के लोग इसके महत्व के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। देश के कई हिस्सों में महुआ के फूलों की यात्रा अब एक नए रास्ते पर निकल पड़ी है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में महुआ के फूल से कुकीज बनाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजाखोह गांव की चार बहनों के प्रयास से ये कुकीज बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं।
गुजरात के एकता नगर में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के आसपास बड़ी संख्या में पाए जाने वाले कृष्ण कमल के फूलों के बारे में बात करते हुए, मोदी ने कहा कि ये फूल एकता नगर के आरोग्य वन, एकता नर्सरी, विश्व वन और मियावाकी जंगल में आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।
भाषा आशीष रंजन
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