निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश गवई ने बार की गरिमा को बहाल किया: एससीबीए अध्यक्ष सिंह

निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश गवई ने बार की गरिमा को बहाल किया: एससीबीए अध्यक्ष सिंह

  •  
  • Publish Date - November 21, 2025 / 09:31 PM IST,
    Updated On - November 21, 2025 / 09:31 PM IST

नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत के निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने बार की गरिमा को बहाल किया और हमेशा माना कि बार और पीठ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

वह एससीबीए द्वारा आयोजित सीजेआई के विदाई समारोह को संबोधित कर रहे थे।

सिंह ने कहा, ‘‘जब वह (न्यायमूर्ति गवई) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बने, तो उन्होंने तुरंत मामलों का उल्लेख करने की व्यवस्था बहाल कर दी थी, जो पहले बंद कर दी गई थी। उन्होंने पत्रों के प्रचलन की व्यवस्था भी बहाल कर दी थी, जो बार में एक बड़ी समस्या थी।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने वास्तव में बार की गरिमा को बहाल किया, जो हम सभी चाहते हैं। मूलतः, वकील होने के नाते, हम बस यही चाहते हैं कि हमारी सुनवाई सम्मानजनक हो; हम चाहते हैं कि हमारे साथ उचित व्यवहार किया जाए। ऐसा नहीं है कि हम चाहते हैं कि हमारे मामलों का फैसला हमारे पक्ष में ही हो। हम चाहते हैं कि न्याय प्रदान करने की इस प्रक्रिया में सभी के साथ उचित व्यवहार किया जाए, और यही उन्होंने सुनिश्चित किया।’’

उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश गवई और नामित प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत दोनों ही पहली पीढ़ी के वकील हैं और यह तथ्य उन नवोदित वकीलों को प्रोत्साहित करेगा जिनके परिवार का कोई सदस्य कानूनी पेशे में नहीं है।

सिंह ने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुत से लोग इस पेशे में भाई-भतीजावाद और (न्यायाधीशों के रूप में) पदोन्नति के बारे में बात करते हैं। अगर भाई-भतीजावाद होता, तो ऐसा कभी नहीं होता।’’

एससीबीए अध्यक्ष ने याद दिलाया कि कैसे सीजेआई गवई ने उच्चतम न्यायालय के सभागार को कार्यक्रमों के आयोजन के लिए उपयोग करने की अनुमति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश बनने के बाद भी न्यायमूर्ति गवई ने बार सदस्यों के प्रति अपना व्यवहार नहीं बदला।

उन्होंने कहा, ‘‘वह प्रधान न्यायाधीश के रूप में भी वैसे ही बने रहे, समान रूप से सुलभ, समान रूप से चिंतित तथा समान रूप से इस स्वीकार्यता के साथ कि बार और पीठ दो समान भाग हैं, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’’

सिंह ने न्यायमूर्ति गवई के विभिन्न फैसलों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश गवई के व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर फैसले ने उस कानूनी सिद्धांत को वापस ला दिया है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव