‘बीजेपी ने गैर जरूरी मुद्दा बनाया, कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं’.. हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले ओवैसी

'बीजेपी ने गैर जरूरी मुद्दा बनाया, कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं'. Owaisi's statement on Supreme Court's decision on Hijab case

‘बीजेपी ने गैर जरूरी मुद्दा बनाया, कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं’.. हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले ओवैसी

Asaduddin Owaisi on UCC

Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 pm IST
Published Date: October 13, 2022 5:42 pm IST

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुद्दे का निपटारा होने की जगह यह मसला और ज्यादा उलझ गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के 2 जज जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस हेमंत गुप्ता की 2 जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाया। इस मसले पर दोनों जजों की राय अलग-अलग थी। जिसके बाद कर्नाटक में हिजाब पर लगा बैन फिलहाल जारी रहेगा। कोर्ट की इस टिप्पणी के बात AIMIM चीफ ओवैसी की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के एक जज का फैसला हिजाब के पक्ष में आया। वहीं कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला ठीक नहीं था। उस फैसले में कुरान की गलत व्याख्या की गई।

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ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज सुधांशु धुलिया ने कहा कि ये मेटर ऑफ च्वाइस की बात है। मुझे लगता है कि ये फैसला हिजाब के पक्ष में आया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने बेवजह का मुद्दा बनाया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब बैन पर अलग-अलग राय थी। अब ये मामला चीफ जस्टिस के पास भेजा जाएगा और बड़ी बेंच में इसकी सुनवाई होगी।

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ओवैसी ने सवाल उठाया कि अगर एक सिख लड़का पगड़ी पहन सकता है। एक हिंदू महिला मंगलसूत्र पहन सकती है और सिंदूर लगा सकती है तो एक मुस्लिम लड़की हिजाब क्यों नहीं पहन सकती। यह समानता के आधार के खिलाफ है। इससे धार्मिक आजादी के अधिकार का भी उल्लंघन होता है। ओवैसी ने आगे कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला मेरी राय में कानून के लिहाज से खराब था। जस्टिस धूलिया ने जो कहा उसका हमें समर्थन करना चाहिए। धर्म की स्वतंत्रता हमारा मौलिक अधिकार है। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा हर छात्र का मौलिक अधिकार है. एक धर्म को मानने की इजाजत है तो दूसरे को मानने में क्या हर्ज है। बीजेपी हिजाब के मुद्दे पर राजनीति कर रही है. हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला करे।

 


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