पाकिस्तान: मदरसों और विद्यालयों में बच्चों को दुर्व्यवहार से बचाने के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग
पाकिस्तान: मदरसों और विद्यालयों में बच्चों को दुर्व्यवहार से बचाने के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग
इस्लामाबाद, 21 सितंबर (भाषा) पाकिस्तान की एक संसदीय समिति ने मदरसों और विद्यालयों में बच्चों को दुर्व्यवहार से बचाने के लिए कड़े कदम उठाने का आग्रह करते हुए कहा कि शिक्षा के नाम पर किसी भी बच्चे को कष्ट न सहना पड़े। मीडिया में जारी एक खबर में यह जानकारी सामने आयी है।
‘डॉन’ समाचार पत्र द्वारा शुक्रवार को प्रकाशित खबर में बताया गया कि सीनेटर समीना मुमताज जेहरी की अध्यक्षता में मानवाधिकारों पर सीनेट की कार्यात्मक समिति ने बृहस्पतिवार को पंजाब, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के मदरसों में दंड, यातना और यौन शोषण की परेशान करने वाली खबरों की समीक्षा के लिए एक बैठक की।
संघीय और प्रांतीय विभागों के अधिकारियों ने समिति को इस मुद्दे के समाधान के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। सीनेटर जेहरी ने जोर देकर कहा कि देश की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बच्चों की सुरक्षा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कदम का उद्देश्य वैध धार्मिक संस्थानों को निशाना बनाना नहीं बल्कि निगरानी और जवाबदेही के माध्यम से दुर्व्यवहार को खत्म करना है।
जेहरी ने इन संस्थानों के उचित पंजीकरण, वित्तीय पारदर्शिता और निगरानी के अभाव पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने मदरसों के नियमित निरीक्षण, अनिवार्य अभिभावक-शिक्षक सहभागिता, बाल संरक्षण पर शिक्षक प्रशिक्षण और शारीरिक दंड पर प्रतिबंध सहित कड़े कदम उठाने का आह्वान किया।
सीनेटर ने दर्ज मामलों में दोषसिद्धि की बेहद कम दर पर भी प्रकाश डाला और चेतावनी दी कि अभियोजन और रोकथाम के बिना, दुर्व्यवहार का चक्र बेरोकटोक जारी रहेगा।
सीनेटर ऐमल वली खान ने कहा कि कई मदरसे राष्ट्रीय शिक्षा ढांचे में एकीकृत होने के बजाय राजस्व बढ़ाने वाली प्रणालियों में बदल गए हैं।
उन्होंने पारदर्शिता सुनिश्चित करने और मदरसों को मुख्यधारा के शिक्षा बोर्डों के अंतर्गत लाने के लिए कानून बनाने पर जोर दिया।
‘डॉन’ की खबर के अनुसार, अन्य सदस्यों ने बच्चों की सुरक्षा के लिए जिला-स्तरीय निगरानी और सुसंगत प्रांतीय कानूनों की सिफारिश की। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में 35,000 से ज्यादा मदरसे हैं, जहां हजारों बच्चे धार्मिक शिक्षा प्राप्त करते हैं।
भाषा जितेंद्र रंजन
रंजन

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