एनआरसी-संसद में हंगामा,राज्यसभा में अमित शाह के बयान पर भड़का विपक्ष,कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित

एनआरसी-संसद में हंगामा,राज्यसभा में अमित शाह के बयान पर भड़का विपक्ष,कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित

एनआरसी-संसद में हंगामा,राज्यसभा में अमित शाह के बयान पर भड़का विपक्ष,कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित
Modified Date: November 29, 2022 / 08:55 pm IST
Published Date: July 31, 2018 8:02 am IST

नई दिल्ली। असम के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के मुद्दे पर मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ। राज्यसभा में अमित शाह के बयान पर भारी हंगामा हुआ। सदन की कार्रवाई पहले 1 बजकर 10 मिनट के लिए स्थगित हुई। कार्यवाही शुरु होने के बाद फिर हंगामे को देखते हुए सदन की कार्रवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं लोकसभा में भी इस मामले को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी रहा।

राज्यसभा में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर जमकर हंगामा हुआ। शाह ने अपने भाषण में कहा कि, ‘किसी के पास घुसपैठियों की पहचान करने की हिम्मत नहीं थी। राजीव गांधी ने 1985 में असम समझौते पर दस्तखत किए थे। यह एनआरसी जैसा था। समझौते में कहा गया था कि अवैध घुसपैठियों की पहचान कर हमारे सिटीजन रजिस्टर से अलग करना चाहिए, लेकिन वे अमल करने की हिम्मत नहीं कर पाए। हम में अमल करने की हिम्मत है, इसलिए हम यह कर रहे हैं। एनआरसी का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रहा है। शाह के इस बयान पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत विपक्ष के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी।

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शाह ने आगे कहा कि, ‘एनआरसी का मूल कहां है, ये किसी ने नहीं देखा। इसकी भी चर्चा इस सदन में होनी चाहिए। असम के अंदर जो समस्या हुई थी, उसे लेकर बड़ा आंदोलन हुआ। सैकड़ों छात्र शहीद हुए। आंदोलन काबू के बाहर गया तो तब के प्रधानमंत्री (राजीव गांधी) ने 14 अगस्त को 1985 को असम समझौता किया और 15 अगस्त को लाल किले से इसे घोषित किया। क्या थी इस समझौते की आत्मा? उसकी आत्मा में एनआरसी था। इसमें कहा गया था कि अवैध घुसपैठियों को पहचान कर उन्हें अलगकर एक नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जाएगा। यह आपके ही (कांग्रेस) प्रधानमंत्री की देन है

वहीं राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘हमारे कुछ सुझाव हैं। पहला- एनआरसी की लिस्ट में जिन व्यक्तियों के नाम नहीं हैं, सिर्फ उन्हें ही अपनी नागरिकता को साबित नहीं करना चाहिए, बल्कि सरकार को भी यह बताना चाहिए कि वे कैसे भारतीय नागरिक नहीं हैं? दूसरा- इस ड्राफ्ट से बाहर हुए हर व्यक्ति को सरकार कानूनी मदद दे। तीसरा- इस दौरान किसी को भी परेशान और प्रताड़ित नहीं किया जाए। चौथा- नागरिकता साबित करने के लिए एनआरसी ने 16 बिंदु तय किए हैं। अगर कोई एक भी बिंदु को पूरा करता है, तो उसे लिस्ट में शामिल करना चाहिए

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इधर लोकसभा में हंगामे के बीच तृणमूल सांसद सौगत बोस ने कहा कि विदेश मंत्रालय बांग्लादेश में रोहिंग्या के लिए ऑपरेशन इंसानियतचला रहा है। भारत में 40 हजार रोहिंग्या शरणार्थी हैं। उन्होंने पूछा कि क्या हम सिर्फ बांग्लादेश में रहने वाले रोहिंग्या के लिए ही इंसानियत दिखाएंगेइस पर जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि दुनिया में भारत ही एकमात्र देश है, जो शरणार्थियों के लिए इतनी नरमी दिखाता है। वहीं, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ”बीएसएफ और असम राइफल्स रोहिंग्या की घुसपैठ पर लगाम लगाए हुए हैं। राज्य सरकारों को रोहिंग्या की गिनती करने को कहा गया है। उनका बॉयोमैट्रिक डेटा जुटाया जा रहा है

बता दें कि एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट सोमवार को जारी हुआ था। इसके मुताबिक 3.39 करोड़ में से 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया। 40 लाख लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं।

वेब डेस्क, IBC24


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