बेंगलुरु, 23 मई (भाषा) कर्नाटक के सरकारी अस्पतालों के मरीज हाल ही में उस वक्त हैरान रह गए, जब उन्होंने देखा कि कुछ दवाओं पर ‘पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विज्ञान’ (एएचवीएस) का लेबल लगा हुआ है, लेकिन संबंधित विभाग ने कहा है कि दवाओं पर केवल ‘लोगो’ की ही समस्या है, दवाएं वास्तव में मानव इस्तेमाल के लिए हैं।
कर्नाटक राज्य चिकित्सा आपूर्ति निगम लिमिटेड (केएसएमएससीएल) ने कहा कि महज ‘लॉगोग्राम’ डिजाइन संबंधी त्रुटि थी, लेकिन उत्पाद, मानक गुणवत्ता वाला और ‘केवल मानव उपयोग’ के लिए था।
चूंकि मुद्रण की गलती के कारण मरीजों में दहशत फैल गई, केएसएमएससीएल के प्रबंध निदेशक चिदानंद सदाशिव वतारे ने एक बयान में कहा कि उत्पाद अनुमति प्रतियां प्रस्तुत की गईं और इस बात की पुष्टि की गई कि उन्हें आवश्यक चिकित्सा मानकों के अनुसार और केवल मानव उपयोग के लिए बनाने की अनुमति है।
केएसएमएससीएल के सूत्रों के मुताबिक, सात दवाएं ऐसी थीं जिनपर ‘एएचवीएस’ लेबल लगा था। इन दवाओं में आंख और नाक में डालने वाली दवाएं (ड्रॉप) शामिल थीं।
कुल 62.9 लाख रुपये की कीमत वाली इन दवाओं की आपूर्ति एक निजी फर्म द्वारा की गई थी और यह इस साल पांच जनवरी को सरकारी गोदाम तक पहुंची थी।
भाषा
शुभम सुरेश
सुरेश
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